गुरुकुल गान Seminary Anthem


ख़ीस्त प्रेमालय घर- प्रांगण पावन

ईश प्रेम, ज्ञान - सेवा है तेरा परिधान


बीच बसता ' भारत प्राण” है इसकी पहचान

"सेवन, ज्ञान, भक्ति, साधन” है जिसका अरमान (2)

काल देश के लिए करे तैयार सुपरिवेश॥


सब जग जन मन पाये शांति-चैन, अमन अपार

शिष्य सकल सरल बने यही प्रभु प्रेम सार (2)

जाति धर्म रंग रूप से परे का दे अधिदेश |


है अभिलाषा विशाल लगे, जलती रहे ये मशाल

मिल जाये, ज्योति सम्मान सबको हे जगत - पाल (2)

चर-अचर सब बनें प्रदीप, मधुर प्रेम संदेश॥