thomas_arumalla

चक्र- स – प्रभु प्रकाश का पर्व

इसायाह 60:1-6; एफेसियों 3:2-3,5-6; मत्ती 2:1-12

ब्रदर थोमस मस्तान आरुमल्ला, ऐ.वि.डि.


"आज के कष्ट कल की महिमा के लिए हैं"।

प्रभु येसु ख्रीस्त में प्यारे मित्रों सभी को जय येसु!

आज माता कलीसिया प्रभु प्रकाश का पर्व मना रही है जहां प्रभु येसु खुद को ज्योतिषियो के सामने प्रकट करते हैं। यदि क्रिसमस चरवाहों द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए यहूदियों के लिए येसु मसीह में ईश्वर का रहस्योद्घाटन है, तो प्रभु प्रकाश का पर्व ज्योतिषियों द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए अन्यजातियों के लिए प्रभु येसु में ईश्वर का रहस्योद्घाटन है। इस प्रकार यह पर्व संकेत करता है कि मोक्ष का द्वार केवल कुछ चुने हुए लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खुला है। आज के तीनों पाठ एक ही विषय का संकेत देते हैं कि गैरयहूदियों के लिए मुक्ति का उद्घाटन है। पहला पाठ और दूसरा पाठ, दोनों सुसमाचार में अपनी पूर्णता पाते हैं जहां येसु को देखने के लिए ज्योतिषियों की यात्रा प्रस्तुत की जाती है। ज्योतिषियों की यह कहानी ईश्वर की मुक्ति-योजना में शामिल होने के लिए आवश्यक तीन असाधारण गुणों को प्रस्तुत करती है। वे हैं ज्ञान, दृढ़ता और विश्वास।

सबसे पहले, जब हम सुसमाचार पढ़ते हैं तो हम समझते हैं कि चरवाहों के विपरीत, ज्योतिषियों को येसु के जन्म के बारे में किसी ने सूचित नहीं किया था। उन्होंने केवल आकाश में चमकता हुआ एक चमकीला तारा देखा। यह आकाश में केवल एक चमकता सितारा था, लेकिन इसे यहूदियों के राजा के जन्म के संकेत के रूप में समझने के लिए उन्हें ईश्वर के ज्ञान की मदद की आवश्यकता थी क्योंकि दूसरे ज्योतिषयों ने इस संकेत को नहीं समझ पाये। और माता कलीसिया आज इन ज्योतिषियों को ’ज्ञानी’ कहती है क्योंकि वे ज्ञान से भरे हुए थे। सभी संकेतों को केवल मानवीय ज्ञान से नहीं समझा जा सकता है, लेकिन यह ईश्वर का ज्ञान है जो दुनिया के रहस्यों को प्रकट करता है। प्रभु के ज्ञान ने उन्हें यह समझा दिया कि इस संकेत का मतलब क्या है, जिसके लिए वे कुछ भी त्यागने और एक अज्ञात यात्रा करने के लिए तैयार थे। इसी प्रकार, प्रिय मित्रो, हमारे दैनिक जीवन में कभी-कभी ईश्वर सीधे हमें अपनी योजनाओं के बारे में बताते हैं, तो कभी-कभी ईश्वर हमें संकेतों को समझाने के लिए उनके प्रतिनिधि को भेजते हैं और कभी-कभी हमें स्वयं ईश्वर के संकेतों को प्रभु के ज्ञान द्वारा ढूंढना और समझना पड़ता है। ईश्वर ने हमारे लिए कई योजनाएँ तैयार की हैं, जैसा कि हम यिरमियाह के ग्रन्थ 29:11 में पढ़ते हैं, “मैं तुम्हारे लिए निर्धारित अपनी योजनाएँ जानता हूँ”। लेकिन उन योजनाओं को समझने और उन पर चलने के लिए हमें ईश्वर के ज्ञान की आवश्यकता है। इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हमें शुद्ध होने की आवश्यकता है क्योंकि ईश्वर का वचन प्रज्ञा ग्रंथ 1:4.5 में कहता हैं, “प्रज्ञा उस आत्मा में प्रवेश नहीं करती, जो बुराई की बातें सोचती है और उस शरीर में निवास नहीं करती, जो पाप के आधीन है; क्योंकि शिक्षा प्रदान करने वाला पवित्र आत्मा छल-कपट से घृणा करता है। वह मूर्खतापूर्ण विचारों को तुच्छ समझता और अन्याय से अलग रहता है।”

दूसरी बात यह है कि यहूदियों के एक नए राजा के जन्म का संकेत इस चमकीले तारे के रूप में देखने और समझने के बाद ज्योतिषियों केवल चुप नहीं बैठे रहे। उनके हृदय उस चिन्ह को खोजने के लिए उत्सुक थे कि वह चिन्ह वास्तव में क्या है। पूर्व से येरूसालेम शहर तक की यात्रा आसान नहीं थी। ज्योतिषयों को अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ी जैसा कि हम मत्ती के सुसमाचार 2:14 में पाते हैं कि यात्रा में लगभग दो साल का समय लगा होगा। एक अनजान व्यक्ति की कोज में किसी अनजान जगह तक इतनी लंबी दूरी की यात्रा करने का निर्णय उनके लिए कठिन था। उन्हें सब कुछ पीछे छोड़ना पड़ाए अपने परिवार, धन-संपत्ति और जीवन की सुरक्षा भी। फिर भी वे यात्रा करने के लिए दृढ़ थे और वे अपनी यात्रा के दौरान उन सभी कठिनाइयों के बावजूद दृढ़ रहे जिनके बारे में हम सोच सकते हैं। लेकिन येरूसालेम महल पहुंचने के बाद उन्हें एक दुखद समाचार सुनना पड़ा कि राजा हेरोद के महल में उस समय कोई राजा पैदा नहीं हुआ था। यह कितनी निराशाजनक खबर हो सकती है, क्योंकि इतनी लम्बी और थकाने वाली यात्रा व्यर्थ हो गयी। फिर भी वे निराश नहीं हुए, बल्कि नवजात राजा को खोजने का फैसला किया और उनकी दृढ़ता के पुरस्कार के रूप में ईश्वर ने उन्हें फिर से वह चमकीला तारा दिखाया, जिसे उन्होंने पहले देखा था और बालक येसु तक पहुंचने के लिए उन्होंने उसका सहारा लिया। अब प्रिय मित्रों, कभी-कभी हमारे जीवन में भी बड़ी मेहनत के बाद परिणाम वैसा नहीं होता जैसा हम उम्मीद करते हैं। कभी.कभी यह हमारी अपेक्षाओं से बिल्कुल भिन्न हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है कि हम वास्तविक नियति या परिणाम तक नहीं पहुंच पाए हैं और उस क्षण अपना उत्साह न छोड़के हमें अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहना चाहिए जिससे हम ईश्वर को भी हमारी सहायता करने के लिए खुश कर सकें। क्योंकि ईश्वर का वचन गलातियों 6:9 में कहता है, “हम भलाई करते-करते हिम्मत न हार बैटें, क्योंकि यदि हम दृढ़ बनें रहेंगे, तो समय आने पर अवश्य फसल लुनेंगे”। और फिर मत्ती के सुसमाचार 24:13 में प्रभु कहते हैं, “जो अन्त तक धीर बना रहेगा, उसी को मुक्ति मिलेगी”। इस प्रकार प्रिय मित्रों, हमें अच्छे कार्य करते रहने की आवश्यकता है, चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ, बाधाएँ, और निराशाएँ हों, प्रभु हमारे पक्ष में खड़े रहेंगे।

तीसरी बात यह है, प्यारे दोस्तों, ज्योतिषियों को आश्चर्य हुआ कि जिस सितारे ने उनको रास्ता दिखाया, वह उन्हें किसी बड़े महल या विशाल हवेली या अच्छी तरह से निर्मित महल में नहीं ले गया, बल्कि एक गरीब बढ़ई के घर में ले गया। हो सकता है कि यह वह दृश्य न हो जिसकी ज्योतिषियों को उम्मीद थी। लेकिन उन्होंने उस संकेत पर भरोसा किया जो उन्हें मार्ग दिखाया और जिस निश्चित स्थान पहुँचाया। उन्होंने भरोसा किया और एक गरीब बढ़ई परिवार के घर के अंदर गए और बच्चे को उसकी गरीब युवा माँ के साथ पाया। उसे देखने पर उनका हृदय बदल गया, उन्हें भविष्य में इस लड़के की महानता का एहसास हुआ। उन्होंने उसे अपने साथ लाये हुए बहुमूल्य उपहार प्रस्तुत किया और उससे अपने राज्य में उन्हें याद रखने के लिए कहा। अब उस शिशु को देखने के बाद न केवल उनका दृष्टिकोण लेकिन उनका दिल भी बादल गया। अब वे ईश्वर के दर्शन करने में समर्थ हो गये। अब वे प्रभु के आत्मा से वैसे ही भर गए जैसे मरियम का अभिवादन सुन कर एलिज़बेथ भर गयी थी (लूकस 1:45)। अब यहूदियों की तरह वे भी ईश्वर के दर्शन देख पा रहे थे और इस प्रकार यह संकेत मिल रहा था कि उन्हें भी ईश्वर की मुक्ति की योजना में शामिल किया गया है। उसी प्रकार, प्रिय मित्रों हो सकता हैए जीवन में हमारी नियति या हमारी योजनाएँ हमारी आशा के अनुरूप पूरी होती नहीं दिख रही हैं, लेकिन ईश्वर पर भरोसा रखते हुए यदि हम आगे बढ़ेंगे तो हम इतनी ऊँचाई तक पहुँच जाएँगे जिसके बारे में हमने सोचा भी नहीं होगा। क्योंकि ईश्वर पर भरोसा हमें विजय और गौरव दिलाएगा जैसा कि हम दाऊद के मामले में देखते हैं जो सांसारिक शक्तियों के साथ नहीं बल्कि प्रभु में विश्वास के साथ गोलयत को मारा (1 समुएल 17:45)।

इस प्रकार प्रिय मित्रों, प्रभु प्रकाश का यह पर्व हमें अन्यजातियों के लिए प्रभु येसु में ईश्वर के रहस्योद्घाटन की याद दिलाता है जो ज्ञान, दृढ़ता और प्रभु में विश्वास के साथ उसकी तलाश करते हैं और साथ ही यह पर्व हमें ज्ञान, दृढ़ता और विश्वास के साथ अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता हैं, ताकि पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर हम भी ईश्वर की उद्धार-योजना के सदस्य बन सकें। क्योंकि ज्ञान हमें ईश्वर के संकेत को समझने में मदद करता है, दृढ़ता हमें उस संकेत तक पहुंचने में मदद करती है, और ईश्वर पर भरोसा हमें संकेत को पहचानने की मदद करता है। संकेत की यह वास्तविकता हमारे दिलों को बदल देती है और हमें ईश्वर की संतान बनाती है। आमेन।