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चक्र- स – ख्रीस्त जयंती महापर्व (रात्री मिस्सा)

इसायाह 9:1-6; तीतुस 2:11-14; लूकस 2:1-14

ब्रदर रोशन डामोर (झाबुआ धर्मप्रान्त)


प्रिय विश्वासियो, आज माता कलीसिया बड़े हर्ष एवं उल्लास के साथ प्रभु येसु के जन्म का महापर्व मनाती है। ख्रीस्त जयंती का महापर्व हमें खुशी एवं आनंद से भर देता है, क्योंकि इस दिन हमारे प्रभु येसु का जन्म हुआ है। यह महापर्व हमें ईश्वर के पुत्र के जन्म की खुशी को अनुभव करने एवं उस खुशी को दूसरों के साथ बाँटने हेतु आह्वान करता है। आज की यह रात्रि कोई सामान्य रात्रि नहीं है, क्योंकि इस रात्रि में दुनिया के मुक्तिदाता का जन्म हुआ है। यह वह दिन है जिसका सदियों से लोगों को इंतजार था। आज के पाठ के द्वारा माता कलीसिया हमें आनंद का संदेश प्रदान करती है। माता कलीसिया इस बात को समझाना चाहती है कि प्रभु येसु का जन्म हमारे लिए आनंद का अवसर है। इसलिए आज के सुसमाचार लुकस 2:10 में स्वर्गदूत चरवाहों से कहता है कि आज मैं आप लोगों को बड़े आनंद का सुसमाचार सुनाता हूँ और वह आनंद का संदेश यह है कि आज दाऊद के नगर में हमारे मुक्तिदाता प्रभु मसीह का जन्म हुआ है। उस मुक्तिदाता का जिसका इंतज़ार लोग वर्षों से कर रहे थे। यह वह मुक्तिदाता है जिसकी प्रतिज्ञा पिता ईश्वर ने लोगों से की थी, और सही समय पर ईश्वर ने उस प्रतिज्ञा को पूरा कर दिया। जिस प्रकार स्वर्गदूत ने चरवाहों से कहा कि वह उनके लिए आनंद का सुसमाचार लाया है, उसी प्रकार आज का महापर्व हमारे लिए भी आनंद का सुसमाचार लाया है और हमारे लिए आनंद का संदेश यह है की हमारे लिए एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है। यह वह मुक्तिदाता है जो सभी को उनके पापों से मुक्त करेगा। इस बात को स्वर्गदूत यूसुफ से स्वप्न में कहते हैं कि मरियम पुत्र प्रसव करेगी और आप उनका नाम येसु रखेंगे, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा। सिर्फ प्रभु येसु ही वह मुक्तिदाता है जो हमें पापों से मुक्त करके एक नया जीवन प्रदान कर सकते हैं। हमारे लिए आनंद का दूसरा विषय यह है कि अगर हम प्रभु येसु में विश्वास करते हैं कि वह मुक्तिदाता है तो हमें इसके फलस्वरूप ईश्वर के पुत्र-पुत्रियां बनने का अधिकार प्राप्त होता है। इस बात का वर्णन हमें योहन के सुसमाचार 1:12 में प्राप्त होता है कि जितनो ने उसे अपनाया और जो उसके नाम में विश्वास करते हैं, उन सब को उसने ईश्वर की संतति बनने का अधिकार दिया है।

आज का पहला पाठ भी इस बात को दर्शाता है कि सिर्फ ईश्वर ही हमें सच्चे आनंद का संदेश प्रदान कर सकते हैं। पहले पाठ में नबी इसायाह इस्राएलियों से कहते हैं कि ईश्वर ने उन्हें आनंद और उल्लास प्रदान किया है। ईश्वर ने उन पर रखे हुए भारी जुए एवं उनके कंधों पर लटकने वाली बहंगी तथा उन पर अत्याचार करने वालों का डंडा तोड़ दिया है।

आज के पहले पाठ एवं सुसमाचार में हमें एक विशेष बात का वर्णन प्राप्त होता है। वह यह है कि प्रभु येसु दाऊद के वंशज हैं एवं उनका जन्म दाऊद के नगर बेथलेहेम में हुआ है। यह इसलिए हुआ कि पिता ईश्वर ने राजा दाऊद से इस बात की प्रतिज्ञा की थी उनका सिंहासन सदा बना रहेगा। ईश्वर ने समुएल के माध्यम से राजा दाऊद से कहा था कि मैं तुम्हारे पुत्र को तुम्हारा उत्तराधिकारी बनाऊंगा और उसका राज्य सदा बनाए रखूँगा। प्रभु येसु के जन्म के द्वारा यह प्रतिज्ञा पूरी हो जाती है। आज के पाठ हमें आनंद का संदेश प्रदान करते हैं, हमें यह बताते हैं कि ईश्वर सदैव मनुष्यों के उद्धार हेतु की गई प्रतिज्ञाओं को पूरा करता है। आज जब हम ख्रीस्त जयंती का महापर्व मनाते हैं तो हम अन्य लोगों को भी इस आनंद के सुसमाचार को सुनायें, दूसरे लोगों से कहें कि आज एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है, जो हमारे सभी कष्टों एवं तकलीफों से हमें छुटकारा प्रदान करेगा एवं हमें सच्चा आनंद प्रदान करेगा। आमेन।