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चक्र- ब – चालीसा काल का चौथा इतवार

चालीसा काल का चौथा इतवार

ब्रदर पंकज किस्पोट्टा (भोपाल महाधर्मप्रान्त)


ख्रीस्त में प्यारे भाइयों एवं बहनों, यह चालीसा का चौथा इतवार हमें ईश्वरीय प्रेम पर मनन-चिंतन करने के लिए बुलाता है। आज के सुसमाचार में हम देखते हैं कि ईश्वर का प्रेम असीम और अटल है। इसी प्रेम के कारण प्रभु ईश्वर ने अपने इकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उसमें विश्वास करता है, उसका सर्वनाश ना हो, बल्कि अनंत जीवन प्राप्त करें। संत योहान का सुसमाचार 13:1 में वचन कहता है ‘वे अपनों को, जो इस संसार में थे, प्यार करते आए थे और अब अपने प्रेम का सबसे बड़ा प्रमाण देने वाले थे।’ प्रभु येसु ने अपने शिष्यों के पैर धोकर तथा युखारिस्त की स्थापना कर प्रेम का प्रमाण दिया। युखारिस्त हमें यही याद दिलाता है कि प्रभु येसु सदा हमारे साथ रहता है।

संत योहान के सुसमाचार 15: 9-10 में प्रभु येसु कहता है, “जिस तरह पिता ने मुझको प्यार किया है, उसी प्रकार मैने भी तुम लोगों को प्यार किया है। तुम मेरे प्रेम में दृढ़ बने रहो। यदि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे, तो मेरे प्रेम में दृढ़ बने रहोगे।“ क्योंकि आगे प्रभु येसु संत योहान का सुसमाचार 14:21 में कहता है ‘जो मेरी आज्ञाएं जानता और उनका पालन करता है, “वही मुझे प्यार करता है और जो मुझे प्यार करता है, उसे मेरा पिता प्यार करेगा और उसे मैं भी प्यार करूंगा और उसे पर अपने को प्रकट करूंगा।”

संत योहान का पहला पत्र 4: 16 में वचन कहता है, “ईश्वर प्रेम है”। इसलिए ईश्वर का राज्य प्रेम का राज्य है। प्रभु येसु संत मती के सुसमाचार 22:37 में कहता है, “अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे हृदय, अपनी सारी आत्मा और अपनी सारी बुद्धि से प्यार करो - यह सब से बड़ी और पहली आज्ञा है। दूसरी आज्ञा इसी के सदृश है अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो।” बाईबल के हर पन्ने पर यही सन्देश गूंजता है कि प्रभु ईश्वर प्रेम है। उनका प्रेम किसी वर्ग, जाति या समूह तक ही सीमित नहीं है, वह किसी से भी पक्षपात नहीं करता और न वह हमारी स्थिति या परिस्थिति से बाधित या कमजोर होता है। वह केवल उन्हीं लोगों से प्रेम नहीं करता जो उससे प्रेम करते हैं। वह हर किसी से प्रेम करता है, यहां तक कि प्रेम न करने वाले, अविश्वासी, हठी, पापी, लालची और प्रतिशोधी से भी। क्योंकि उनका प्रेम अपार है।

प्रभु येसु हमें संत योहान के सुसमाचार 14:15 में कहते है, “यदि तुम मुझे प्यार करोगे तो मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे”। लेकिन हम आज के पहले पाठ में देखते है कि याजकों के नेताओं में और जनता में बहुत अधिक अधर्म फैल गया क्योंकि उन्होंने येसु को प्यार तथा उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। इसलिए उन्होंने गैर-यहूदी राष्ट्रों के घृणित कार्यों का अनुसरण किया, और प्रभु द्वारा प्रतिष्ठित येरुसालेम का मन्दिर अपवित्र किया, ईश्वर के दूतो का उपहास तथा उसके उपदेशों का तिरस्कार किया इत्यादि।

इसी विषय पर हमारे मन को आलोकित करते हुए आज के दूसरे पाठ में संत पौलुस एफेसियो के नाम पत्र 2:4-5 में कहता है, “ईश्वर की दया अपार है। हम अपने पापों के कारण मर गए थे किंतु उसने हमें इतना प्यार किया कि उसने हमें मसीह के साथ जीवन प्रदान किया। उसकी कृपा ने आप लोगों का उद्धार किया।“

तो प्यारे भाइयों एवं बहनों, मानवों ने प्रभु येसु को क्रूस दिया लेकिन फिर भी प्रभु येसु ने अपने शरीर के आखिरी बूंद रक्त तक हमसे प्यार किया। तो आईए हम प्रार्थना करें कि जिस तरह प्रभु ने हमें प्यार किया हम भी वैसे ही ईश्वर, एक दूसरे और अपने पड़ोसियों से प्यार करने में सक्षम हो सके।