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चक्र- ब – चालीसा काल का दूसरा इतवार

उत्पत्ति 22:1-2,9-13,15-18; रोमियो 8:31-34; मारकुस 9:2-10

ब्रदर अश्विन डामोर (झाबुआ धर्मप्रान्त)


आज के इस जीवनचर्या में हमने कई सारे परिवार या दंपति देखे होंगे जो निसंतान हैं। उन्हें संतान प्राप्ति का सुख नहीं मिला है। साथ ही साथ हमने ऐसे दंपति भी देखे होंगे जिन्हें कई वर्षों तक संतान प्राप्ति का सुख नहीं मिला, लेकिन विश्वास और प्रार्थना से उन्हें यह सुख मिला। उनकी गोद भर गई और अपना जीवन ईश्वर पर विश्वास करते हुए व्यतीत कर रहे हैं। इसी तरह हम उत्पत्ति ग्रंथ के अध्याय 21 मे पढ़ते हैं कि इब्राहीम और सारा को जो निसंतान थे संतान प्राप्त होती है और वे ईश्वर को इस कृपा के लिए धन्यवाद देते हैं क्योंकि उन्हें यह संतान उनकी वृद्धावस्था में प्राप्त हुई।

एक पिता के लिए इससे ज्यादा खुशी और क्या हो सकती है जब उसे कई वर्षों तक इंतजार करते-करते अपनी वृद्धावस्था में संतान प्राप्त होती है। वही दूसरी ओर एक पिता को कितना दुःख पहुंचता होगा जब उसे अपने एकलौते पुत्र को बलि चढ़ाने को कहा जाए। हम आज के पाठ में सुनते हैं कि प्रभु ईश्वर इब्राहीम को अपनी इकलौती संतान को बली चढ़ाने के लिए कहते हैं।

प्रभु ईश्वर इब्राहीम को अपने पुत्र का बलिदान देने के लिए क्यों कहते हैं जबकि प्रभु ईश्वर ने ही उसे पुत्र का वरदान दिया? यह इसलिए कि इब्राहीम अपने पुत्र से बहुत अधिक प्यार करते थे। प्रभु ईश्वर इब्राहीम की परीक्षा लेते हैं, यह देखने के लिए कि इब्राहीम किससे ज्यादा प्यार करते हैं - प्रभु ईश्वर से जिसने उसे पुत्र का वरदान दिया या फिर अपने पुत्र से। हम आज के पाठ में पढ़ते हैं कि इब्राहीम अपने पुत्र का बलिदान देने के लिए तैयार हो जाते हैं। इससे हम समझ सकते हैं कि इब्राहीम अपने पुत्र से ज्यादा पिता ईश्वर से प्यार करते हैं।

हम आज के सुसमाचार में प्रभु येसु के रूपांतरण के बारे में पढ़ते हैं। प्रभु येसु पेत्रुस, याकूब, और योहन को अपने साथ एक ऊंचे पहाड़ पर एकांत में ले जाते हैं। प्रभु येसु का रूपांतरण उनके सामने होता है। वे देखते हैं कि प्रभु येसु के कपड़े इतने चमकीले और उज्जवल हो गए कि दुनिया का कोई भी धोबी उन्हें उतना उजाला नहीं कर सकता। प्रभु येसु पेत्रुस, याकूब, और योहन को ही अपने साथ क्यों ले गए? प्रभु येसु उन्हें इसलिए अपने साथ ले गए ताकि वे प्रभु येसु का ईश्वरीय रूप देख सकें। प्रभु येसु उन्हें अपनी महिमान्वित रूप की एक झलक दिखलाते हैं। प्रभु येसु चाहते थे कि उसके शिष्य यह जान जाए कि वह एक साधारण मनुष्य नहीं है। वह मानवीय रूप में ईश्वर है। इसलिए प्रभु येसु उन्हें अपने साथ ले जाते हैं ताकि वे जान सके कि प्रभु येसु वास्तव में कौन है। और वे प्रभु येसु के इस दृश्य को देखकर अपने विश्वास में और दृढ़ बन सकें।

ख्रीस्त में प्यारे भाइयों और बहनों, हम आज प्रभु के रूपांतरण का त्यौहार मना रहे हैं। तो आईए हम भी उन शिष्यों की तरह प्रभु येसु के रूपांतरण को, उसके महिमान्वित रूप को देखें और अपने विश्वास में आगे बढ़ें और प्रार्थना करें कि रूपांतरित येसु हमारे विश्वास को दृढ़ करने में मदद करें, जिससे हम भी अपने रूपांतरण एवं महिमा को ईश्वरीय पुरस्कार के रूप में प्राप्त कर सकें।