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चक्र- ब – पास्का का चौथा इतवार

प्रेरित-चरित 4:8-12; 1योहन 3:1-2; योहन 10:11-18

ब्रदर मेकला किशोर बाबु, (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


आज के पाठों का मुख्य सन्देश बलिदान पर आधारित है। हम देखते हैं कि प्रभु येसु अपनी भेडों के लिए अपने जीवन की कुर्बानी देने तक तैयार है। क्योंकि भेडें प्रभु येसु को पिता के द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी हैं। प्रभु येसु ने भेडों की जिम्मेदारी एक मजदूर की तरह नहीं, बल्कि एक सच्चे चरवाहे के रुप में पूरी की है। मजदूर मुसीबत आने पर भेडों से ज्यादा अपने प्राण की रक्षा करता है परन्तु प्रभु येसु अपने प्राणों से भी अधिक उन्हें प्यार करने के कारण, अपनी भेडों के प्राणों को बचाने के लिए अपने प्राणों को दाव पर लगा देते हैं। इसलिए हम प्रभु येसु को भला गडेरिया कहते हैं। इसका प्रमाण हम योहन 3:17 में देखते हैं । “ईश्वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा कि संसार उस के द्वारा मुक्ति प्राप्त करे”।

प्रभु येसु सदैव अपनी भेडों को सुरक्षित रखते व उनका मार्गदर्शन करते हैं। क्योंकि प्रभु येसु का काम भेडों की देखभाल करने के साथ-साथ उन्हें खतरे से बचाना भी होता है। प्रभु येसु एक चरवाहे की तरह हमें सच्चे पार्ग पर ले जाते हैं। इसी तरह येसु हमें जीवन में मार्गदर्शन और सुरक्षा प्रदान करते हैं। हम यह विश्वास कर सकते हैं कि वह हमें सही मार्ग पर ले जाते हैं, और आध्यात्मिक खतरों से बचाते हैं, चाहे हमारे जीवन में जो भी मुश्किलें क्यों न हों।

जैसे भला गडेरिया अपनी भेडों के लिए जिम्मेदारी निभाता है वैसे ही भेडें को भी अपने चरवाहे की आवाज को पहचानना चाहिए, जिससे मुसीबत के समय हमारा गडेरिया वचन रूपी अपनी लाठी से हमारी रक्षा कर सकें और हमें सुरक्षित स्थान पर पहूँचा सकें। प्रभु येसु यह भी बताते हैं कि उनकी और भी भेडें हैं जो दूसरी भेड़शाला की हैं। वे उन्हें भी अपनी झुण्ड में शामिल करना चाहते हैं। इससे हमें पता चलता है कि प्रभु येसु हम सभी को एकता में बाँधना चाहते हैं, जिससे हम एकजुट होकर अपने सच्चे गडेंरिया का अनुसरण कर सकें। हम सभी विभिन्नताओं के बावजूद भी येसु का अनुसरण कर सकें तथा सभी विश्वासियों के साथ अपने ईशरीय अनुभव का आदान-प्रदान करने में सक्षम हो सकें।

आइए हम उसी ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह अपनी भेडों की गुहार सुनकर उन्हें हर मुसीबत से सुरक्षित रखें क्योंकि स्तो़त्र-ग्रंथ 91:2 में वचन कहता है, “तू ही मेरी शरण है, मेरा गढ, मेरा ईश्वर; तुझ पर ही भरोसा रखता हूँ।“ इसी विश्वास के साथ हम अपने जीवन को प्रभु के चरणों में समर्पित करें, हम भी अपने जीवन का बलिदान पड़ोसियों के हित में दे सकें।