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चक्र- ब – खीस्त राजा का महापर्व

दानियल 7:13-14; प्रकाशना 1:5-8; योहन 18:33-37

ब्रदर अमलराज अन्तोनि सामि (भोपाल महाधर्प्रान्त)


येसु ही सच्चा राजा हैं !

ख्रीस्त में प्रिय भाईयों और बहनों, आज विश्वव्यापि काथलिक कलीसिया ख्रीस्त राजा का पर्व मना रही है। इस अवसर पर काथलिक कलीसिया हमें येसु को संसार का प्रभु एवं राजा मानकर घोषणा करने का निमंत्रण देती है।

आज हम सब एक प्रजातात्रिक समाज में रहते हैं, जहाँ राजा, राजत्व एवं साम्राज्य जैसे शब्दों का महत्व नहीं है। इन शब्दों का महत्व सिर्फ प्राचीनकाल में ही था। जैसे ही हम राजा का नाम सुनते हैं, हमारे मन में शक्ति, अधिकार, सेना, अस्त्र-शस्त्र तथा भोग-विलास की बातें उभर कर आती हैं। विश्व का इतिहास हमें बताता है कि विश्व पर अनेक राजा/रानियों का शासन था, लेकिन आजकल राजा एवं महाराजाओं का राजत्व एवं प्रतिष्टा समाप्त हो गई है क्योंकि उनके राजत्व सिर्फ नाम मात्र के लिए थे तथा उनके साम्राज्य अस्थायी थे। वर्तमान समय में वैसे ही विश्व पर राजनेताओं का शासन है। क्योंकि सरकार के नियम इस तरह बनाए गए हैं कि वे देश पर पाँच या छः साल तक शासन कर सकते हैं। लेकिन आज काथलिक कलीसिया इस ख्रीस्त राजा के पर्व के दौरान हमें बताती है कि हमारे बीच में एक सच्चा राजा है, एक निरन्तर शासन करने वाला है जिसके राज्य तथा साम्राज्य का कभी विनाश नहीं होता। क्योंकि उनका प्रभुत्व अनन्त है और वह सदा ही बना रहता है।

पवित्र बाइबिल हमें विभिन्न रूप से समझाती है कि जो कुछ स्वर्ग और पृथ्वी पर हैं,वे सब प्रभु ईश्वर के शक्ति एवं सामर्थ्य से है। पहले इतिहास ग्रन्थ (29:11-12) में पवित्र वचन कहता है, “प्रभु! तुझे प्रताप, सामर्थ्य, महिमा, विजय और स्तुति! क्योंकि जो कुछ स्वर्ग में और पृथ्वी पर है, वह तेरा है। प्रभु! राज्याधिकार तेरा है। तू सब शासकों में महान् है। धन और सम्मान तुझ से मिलता है। तू समस्त सृष्टि का शासन करता है। तेरे हाथ में सामर्थ्य और बल है। तू लोगों को महान् और शक्तिशाली बनाता है।”

ईश्वर ही सच्चा है जो राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु हैं। ईश्वर राजाओं का रचयिता है जिस से मनुष्यों का राजत्व इस धरती पर शुरू हुआ था। समूएल का पहले ग्रन्थ (8:4-7) में पवित्र वचन कहता है, “इस्राएल के सब नेता इकट्ठे हो गये और रामा में समूएल के पास आये। उन्होंने उस से कहा, “आप बूढे हो गये हैं और आपके पुत्र आपके मार्ग का अनुसरण नहीं करते। इसलिए आप हमारे लिए एक राजा नियुक्त करें, जो हम पर शासन करें, जैसा कि सब राष्ट्रों में होता है।” उनका यह निवेदन कि आप हमारे लिए एक राजा नियुक्त करें जो हम पर शासन करे, समूएल को अच्छा नहीं लगा और उसने प्रभु से प्रार्थना की। प्रभु ने सामूलए से कहा, “लोगो की हर माँग पूरी करो, क्योंकि वे तुम को नहीं, बल्कि मुझ को अस्वीकार कर रहे हैं। वे नहीं चाहते कि मैं उनका राजा बना रहूँ।”

आज के तीनों पाठ हमें यही याद दिलाते हैं कि प्रभु येसु ख्रीस्त सच्चा राजा है, और उन्हें स्वर्ग और पृथ्वी पर सारा अधिकार दिया गया है। सन्त योहन के सुसमाचार (18:37) में हम पढ़ते हैं कि प्रभु येसु पिलातुस के सामने घोषणा करते हैं, “मैं राजा हूँ। मैं इसलिए जन्मा और इसलिए संसार में आया हूँ कि सत्य के विषय में साक्ष्य दूँ।” “मसीह विश्वसनीय साक्षी, पुनर्जीवित मृतकों में से पहलौठे और पृथ्वी के राजाओं के अधिराज हैं। ” (प्रकाशना 1:5)। उसे प्रभुत्व सम्मान तथा राजत्व दिया गया। सभी देश, राष्ट्र और भिन्न-भिन्न भाषा-भाषी उसकी सेवा करेंगे। उसका प्रभुत्व अनन्त है। वह सदा ही बना रहेगा। उसके राज्य का कभी विनाश नहीं होगा।

तो आईये, प्रिय भाईयों एवं बहनों, ख्रीस्त राजा के पर्व के अवसर पर, आज हम विशेषरूप से हमारे स्वर्गीय पिता से प्रार्थना करें कि वे हमारे मन में येसु को सच्चा राजा मनने की जो भावना है, उसे सच्ची एवं सार्थक बनाने में हमारी मदद करें। आमने।