प्रेरित चरित 1:1-11; एफेसियों 1:17-23; मारकुस 16:15-20
ख्रीस्त में प्यारे भाईयो एवं बहनो, आज माता कलीसिया प्रभु येसु के स्वर्गारोहण का पर्व मना रही है। आज के सुसमाचार में हम प्रभु येसु के स्वर्गारोहण के बारे में पढ़ते हैं। प्रभु अपने शिष्यों से बातें करने के बाद स्वर्ग में आरोहित कर लिये गये और ईश्वर के दाहिने विराजमान हो गये (मारकुस 16:19)। जब हम प्रभु येसु के स्वर्गारोहण के विषय में मनन-चिंतन करते हैं, तो साधारणतः हम यह समझते हैं कि येसु शरीर के साथ स्वर्ग में आरोहित कर लिये गये। इसका तात्पर्य यह है कि वे अपने पिता की महिमा में पुनः प्रविष्ठ हो गये। मृतकों में से जी उठने के साथ ही येसु अपनी महिमा में प्रवेश कर गये, पवित्र बाइबिल में हम पढ़ते हैं कि येसु अपने पुनरूत्थान के चालीस दिन पश्चात् स्वर्गारोहित हुये। अपने पुनरूत्थान के बाद येसु उस समय तक अपने शिष्यों को दर्शन देते रहे, ताकि उनका विश्वास दृढ़ बना रहे और वे स्वयं को येसु का साक्ष्य देने के लिए तैयार कर सकें। येसु का स्वर्गारोहण उनके पार्थिक जीवन की चरम सीमा और मुकुट है। यह पाप तथा मृत्यु पर उनकी विजय के अंतिम मोहर लगाता तथा घोषित करता है कि पिता ईश्वर द्वारा प्रभु येसु के सम्पूर्ण मुक्तिकार्य को स्वीकार किया गया है।
संत पौलुस कहते हैं कि स्वर्गारोहण के पश्चात् येसु पिता के दाहिने विराजमान हुए और सभी शक्तियों पर शासन करने लगे। अब सब कुछ उनके अधीन कर उनके पैरों तले रख दिया गया है। ईश्वर के दाहिने विराजमान होने का क्या अभिप्राय है। पवित्र बाइबिल में इसका अभिप्राय है कि शक्ति एवं सामर्थ्य के साथ येसु का हम पर शासन करना और हमारी देखभाल करना है। संत पौलुस कहते हैं कि येसु का स्वर्गारोहण पिता की शक्ति का दूसरा प्रकटन है। यह ईश्वर की अपार शक्ति को दर्शाती है जो उसमें भरोसा रखते हैं।
स्वर्गारोहण के पूर्व येसु ने अपने शिष्यों को यह अधिकार दिया कि वे संसार के कोने-कोने में जाकर सुसमाचार का प्रचार करें। आज का सुसमाचार भी येसु द्वारा अपने शिष्यों को सौंपे गये कार्य पर बल देता है। पिता ने येसु को इस संसार में पूर्ण शक्ति एवं अधिकार के साथ भेजा। येसु ने भी उसी शक्ति एवं अधिकार के साथ अपने शिष्यों को इस संसार के कोने-कोने में जाकर सभी राष्ट्रों को सुसमाचार सुनाने तथा सभी मनुष्यों को उनके अनुयायी बनाने के लिए भेजा। उन्हें यह अश्वासन भी दिया कि वे सदैव उनके बीच विद्यमान रहकर उनकी सहायता एवं रक्षा करेंगे तथा उन्हें अपनी शक्ति प्रदान करेंगे।
येसु के अनुयायी होने के नाते हमें भी वही कार्य जो येसु ने प्रारंभ किया था जिन्हें जारी रखने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। जिस मुक्ति कार्य को उन्होंने स्वंय पूरा किया, उसे सारी मानव जाति में, युग-युगों तक इस संसार के सभी भागों में पहुँचाना चाहिए। इस कार्य हेतु उन्होंने हमको अपने साधन के रूप में चुना है। हमें जो प्रेरितिक कार्य सौंपा गया है, वह इतना असान नहीं है। इस प्रेरितक कार्य को हम सिर्फ येसु की सहायता एवं उनके बलबूते पर ही क्रियान्वित कर सकते हैं
सुसमाचार प्रचार के कार्य को उत्साह पूर्वक करने और उसे सक्रिय बनाने का उत्तरदायित्व हम सभी को समान रूप से मिला है। हम में से अधिकांश लोग येसु द्वारा दिये गये आश्वासन को भूल कर उनके मिशन कार्य को करने हेतु संकोच व डर महसूस करते हैं। वे हमें मारकुस के सुसमाचार 13:11 में कहते है, “चिन्ता मत करो कि हम क्या कहेंगे। समय आने पर जो शब्द दिये जायेंगे, उन्हें कह दो क्योंकि बोलने वाले तुम नहीं हो बल्कि पवित्र आत्मा हैं।”
पवित्र आत्मा हमें हर प्रकार के दुःख तकलीफों, समस्याओं, तथा रूकावटों में हमारी मदद करेगा। इस प्रकार सुसमाचार के प्रचार को पूरा करने के लिए जो उत्तरदायित्व हमें मिला है, उससे पीछे हटने का हमारे पास कोई कारण नहीं रह जाता है। जब हम इस कार्य को सफलता पूर्वक पूरा करेंगे तो हमें भी येसु की भाँति पिता ईश्वर पुरस्कृत करेंगे। हमारे लिए भी स्वर्गारोहण का दिन आयेगा जब हम ईश्वर की महिमा एवं खुशी में हमेशा के लिए प्रेवश करेंगे। इसलिए स्वर्गारोहण का यह पर्व हमारे लिए आनन्द एवं खुशी का पर्व है। हम आनन्द मनाते हैं, क्योंकि येसु हमारे गुरू इस महिमा में प्रविष्ठ हुए और इस मुक्ति कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने हमें पवित्र आत्मा को सहायक के रूप में प्रदान किया। इसलिए हमें एक ख्रीस्तीय होने का गर्व होना चाहिए क्योंकि हमारे प्रभु और गुरू हम सभी को उसी महिमा का आश्वासन देते हुए, महिमा में प्रवेश कर चुके हैं।
इस यूख्रारिस्तीय समारोह में येसु के स्वर्गारोहण का पर्व मनाते समय प्रार्थना करें, कि वे हमें सुसमाचार के प्रचार तथा उसके अनुसार जीवन व्यतीत करने के लिए अपना आत्मबल प्रदान करें।