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चक्र- ब – आगमन का चौथा इतवार

2 समुएल 7:1-5,8-12,14,16 रोमियो 16:25-27 लूकस 1:26-38

ब्रदर सुरेन्द्र कुमरे (जबलपूर धर्मप्रान्त)


आज के सुसमाचार में पवित्र वचन कहता है “ईश्वर के लिए कुछ भी असंभव नहीं है”। यह एक छोटा-सा वाक्य है, जो दो वास्तकि बातों को प्रकट करता है। एक है, प्रभु की महान शक्ति और प्रभुत्व, तथा दूसरा है, मनुष्य को ईश्वर पर विश्वास करने का आह्वान। यह वाक्यांश गब्रिएल दूत के द्वारा कहा गया है। जब गब्रिएल दूत माता मरियम को प्रभु के जन्म का संदेश देने के लिए आता है तो माता मरियम प्रश्न करती है “यह कैसे हो सकता है?” (लूकस 1:34) यह युवा मरियम द्वारा पूछा गया प्रश्न था। यहाँ उसके विश्वास की नहीं, बल्कि समझ की कमी थी। अक्सर, हम यह नहीं समझ पाते हैं कि हम मनुष्यों के लिए ईश्वर की क्या योजनाएं हैं। लेकिन ईश्वर हमेशा मनुष्य की सोच से हटकर करता है, क्योंकि वह ईश्वर है। वह शक्तिशाली ईश्वर बहुत अद्भुद है, उसने प्रकृति के नियम बनाए हैं, वह चाहे तो उन्हें अपनी इच्छा से मोड भी़ सकता है। ईश्वर, जो मौसम बनाता है, अपनी इच्छानुसार उसे आदेश दे सकता है कि थम जा। प्रभु ईश्वर बीमारों को चंगा कर सकता है, अंधो को दृष्टि दे सकता है, मृतकों को जीवित कर सकता है। वह ईश्वर न केवल मृतकों को बल्कि सूखी हड्डियों में प्राण फूकने वाला ईश्वर है तथा 4 दिन के बाद मृत लाजरूस के बदबू निकलने वाले शरीर को भी जीवित कर देता है। वह फुसफुसाहट की आवाज में आने वाला ईश्वर है, जो भूखे लोगों के लिए मछलियाँ और रोटियाँ बढ़ा सकता है। ईश्वर दुनिया को बचा सकता है, और उसने अपने एकलौते पुत्र, येसु मसीह के स्वैच्छिक बलिदान के माध्यम से, जो स्वभाव से ही पूर्णतः ईश्वर, और पूर्णतः मनुष्य था, दुनिया को पाप से बचा लिया। इसलिए वह सब कुछ कर सकता है, तो निश्चय ही हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि ईश्वर के लिए सब कुछ संभव है। आज के पहले पाठ में भी यदि हम देखेंगे तो वही शक्तिशाली ईश्वर जो लाल समुद्र को अपनी शक्ति से दो भागों में विभाजित कर देता है, दिन में बादल और रात में प्रकाश का खंबा बन के लोगों के साथ चलता है और चट्टानों से पानी पिलाता है, आसमान से मनुष्यों को रोटी देता है, वह शक्तिशाली ईश्वर इतना विशाल है कि उसे रहने के लिए पृथ्वी और आकाश की जगह कम पड जाए। पवित्र वचन कहता है, इसायाह 66:1 में “आकाश मेरा सिंहासन है और पृथ्वी मेरा पावदान है। तुम मेरे लिए कौन-सा घर बनाओगे?“ अब वही शक्तिशाली ईश्वर पृथ्वी में निवास करने के लिए एक मंदिर, या कह सकते हैं अपने लिए एक घर, बनवाता है, जिसका आकार इतना विशाल है कि वह आकाश और पृथ्वी में भी नही समा सकता। तो वह एक मंदिर में कैसे समा सकता है? तो क्या ईश्वर मनुष्यों के बीच भी रह सकता है? जी हाँ ईश्वर के लिए सब कुछ सम्भव है। मारकुस 10:27 में प्रभु येसु स्वयं कहते हैं “मनुष्यों के लिए तो यह असम्भव है, ईश्वर के लिए नही, क्योंकि ईश्वर के लिए सब कुछ सम्भव है।“

ख्रीस्त में प्रिय भाईयों एवं बहनों, यह सब सिर्फ और सिर्फ ईश्वर के लिए ही संभव है। ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे ईश्वर करने में असमर्थ है, उन चीजों को छोड़कर जो उसके स्वभाव के विपरीत हैं, क्योंकि वह परिपूर्ण है। पहले मनुष्य को ऐसा प्रतीत होता था कि पापी मनुष्य को क्षमा करना एक ऐसी चीज होगी जो असंभव होगी, क्योंकि मनुष्य अपने स्वयं के न्याय और पवित्रता की अवहेलना नहीं कर सकता और ऐसा न कर पाने का एकमात्र कारण यह है कि मनुष्य अपने स्वभाव और चरित्र की पूर्णता के कारण ऐसा नहीं कर सकता। परंतु ईश्वर का पुत्र प्रभु येसु ख्रीस्त इस दुनिया में आ कर मनुष्यों को क्षमा करने सिखाया है।

ख्रीस्त में प्रिय भाईयों एवं बहनों, यदि हम ईश्वर में विश्वास करते हैं तो हमारे लिए भी हर चीज संभव होने लगती है। इसीलिए आज के दूसरे पाठ में संत पौलुस रोमियो को लिखते हुए कहते हैं “सभी राष्ट्र विश्वास की अधीनता स्वीकार करें” (रोमियो 16:25)। प्रिय भाईयों एवं बहनों, ईश्वर हमें रोज दिन बुलाता है ताकि हम उस पर भरोसा रख सकें और विश्वास की अधीनता स्वीकार कर ले। ईश्वर अपनी शक्ति और सामर्थ्य दिखाकर हमें चुनौती भी देता है ताकि हम ईश्वर में बने रहे और भरोसा रखें। किन्तु हम जानते हैं ईश्वर पर विश्वास करने में ही हमारा उद्धार है, जिस प्रकार वचन कहता है रोमियो 1:17 “धार्मिक मनुष्य अपने विश्वास द्वारा जीवन प्राप्त करेगा।“ तो आइए हम ईश्वर में विश्वास करें और उसके महान कार्यों पर विश्वास करें ताकि हम उसकी योजनाओं को समझ सकें और उसकी योजनाओं में योगदान देते हुए माता मरियम के शब्दों में कह सकें “देख में प्रभु की दासी हूँ।“