amit_soren

चक्र- अ – आगमन का पहला इतवार

इसायाह 63:16ब-17, 19,64:2-7; 1 कुरिन्थियो 1:3-9; मारकुस: 13: 33-37

ब्रदर अमित सोरेन (मुजफ्फरपुर धर्मप्रांत)


ख्रीस्त में प्यारे भाइयों एवं बहनों, आज आगमन का पहला रविवार और पूजन वर्ष का पहला दिन है। आज से हम सभी आगमन काल में प्रवेश कर रहे हैं। “आगमन” क्रिसमस के पूर्व लगभग 4 सप्ताह तक मसीह के आने की तैयारी में भक्तिपूर्वक और प्रार्थनामय रूप से मनायी जाने वाली अवधि है। यह आशा भरे इंतजार का समय है। आज से हम येसु मसीह, ईश्वर के पुत्र के जन्मदिन मनाने की तैयारी की शुरुआत करते हैं। उस त्यौहार की तैयारी जिस दिन ईश्वर स्वयं मानव बनकर हमारे बीच आया। हमें इस पर्व की तैयारी गंभीरता से, सतर्क रहकर करना चाहिए। आगमन काल हमारे लिए आध्यात्मिक तैयारी एवं प्रतीक्षा का समय है। येसु के लिए स्वयं को तैयार करने का सबसे उचित समय है।

आज के प्रथम पाठ में ईश्वर को मुक्तिदाता एवं कुम्हार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। नबी इसायाह हम सभी से भी यही कहना चाहते हैं, कि जो लोग हमेशा ईश्वर का अनुसरण करते हैं, ईश्वर उन्हें सदा सहायता करेगा और कठिन से कठिन परिस्थिति से छुटकारा दिलाएगा। नबी यह भी कहते हैं कि जो लोग सदाचरण करते हैं और ईश्वर के मार्गों पर चलते हैं, ईश्वर उन लोगों का पथप्रदर्शन करता है। पिता ईश्वर, हमें भी आज कुमार्गों को त्याग कर सदाचरण करने के लिए आह्वान करते हैं। हमें आगमन काल में ही नहीं बल्कि पूरे जीवन भर ईश्वर के बताए मार्ग पर चलना चाहिए। जब हम पाप करते हैं, पाप में गिरे रहते हैं, ईश्वर की और मुड़कर कभी नहीं देखते हैं, तो हम सब भी पत्तों की तरह सूख जाएंगे और पाप हमें पवन की तरह छितरा देंगे। इसलिए प्रिय भाइयों एवं बहनों, हमें सदैव ईश्वर के मार्ग पर चलकर सदाचरण करना चाहिए।

आज के दूसरे पाठ में संत पौलुस अपनी ईश्वरीय महती दया और कृपा का एहसास, कुरिन्थ के लोगों के साथ साझा करते हैं, और उनसे आग्रह करते हैं कि वे ईश्वर द्वारा प्राप्त कृपादानों और सभी आशिषों को अच्छे कार्य करने में लगायें। संत पौलुस उन्हें शुभकामनाएं भी देते हैं कि जब परमेश्वर आएगा तो वह अयोग्य नहीं पाएगा। इसलिए हमें यह संदेश मिलता है कि हम अपने जीवन में ईश्वर के मार्ग पर चलने के लिए सतर्क, जागृत और सावधान रहें। संत पौलुस हमें भी यही कहते हैं कि “आप लोगों में किसी कृपादान की कमी नहीं है, और अब आप हमारे प्रभु ईसा मसीह के आगमन की तैयारी कर रहे हैं” (1कुरिन्थियो1:7)। यह आगमन काल हमें उदार बनने तथा सेवा कार्य करने के लिए निमंत्रण देता है। हमें ईश्वर से जो भी वरदान मिले हैं, उन्हें हम आस-पड़ोस के लोगों के साथ, समाज में रह रहे विभिन्न वर्गों के साथ बाटें। ताकि वे लोग, हम लोगों के द्वारा ईश्वर की असीम प्यार को अनुभव कर सकें।

आज के पवित्र सुसमाचार के द्वारा, प्रभु येसु के आगमन के लिए हमें चौकस रहने के लिए निमंत्रण मिलता है। हम सभी, दस कुवांरियों के दृष्टांत के बारे में अच्छी तरह वाकिफ हैं। ये बुद्धिमान और समझदार कुँवारियां, ईश पुत्र के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ती है, परंतु वे येसु को स्वागत करने के लिए चौकस, जागृत और सतर्क थीं। आज हमें भी येसु को स्वागत करने के लिए, येसु को अपने दिल में बसाने के लिए, सावधान और चौकस रहने की जरूरत है। पवित्र बाइबल हमें “जागते रहने और प्रार्थना करने के लिए सिखाती है” (मत्ती 26:41)। प्रार्थना के माध्यम से ही हम ईश्वर के साथ अच्छा संबंध जोड़ सकते हैं। प्रभु येसु को हम अधिक से अधिक समय दें, उनसे वार्तालाप करें जिससे हमारा संबंध उनके साथ मजबूत बना रहे। संत पापा फ्रांसिस कहते हैं, “क्रिसमस केवल कुछ पल का त्यौहार या एक खूबसूरत घटना की स्मृति नहीं है, क्रिसमस उससे कहीं अधिक है… क्रिसमस एक मुलाकात है”। क्रिसमस को हम एक त्यौहार मात्र ही ना रहने दें, परंतु हम ईश पुत्र येसु ख्रीस्त को अपने जीवन में अनुभव एवं उनसे मुलाकात करें। यह मुलाकात तभी संभव है, जब हम येसु को अपने जीवन में प्रथम स्थान देंगे। तभी यह क्रिसमस सही मायने में सार्थक सिद्ध हो सकता है अन्यथा नहीं।

तो आइए हम सब मिलकर जब हम आगमन काल में प्रवेश कर चुके हैं, तो हम आध्यात्मिक रूप से अपने आपको तैयार करें। जिस मुक्तिदाता की हम प्रतीक्षा कर रहे हैं, वह हमारे हृदय में अपना निवास स्थान बना लें। यह आगमन काल हम सभी को क्रिसमस में येसु को ग्रहण करने के लिए, कुछ आध्यात्मिक योजनाएं बनाने की चुनौती देता है। यहां कुछ सुझाव हैं:

1)हम अपने आध्यात्मिक जीवन को पुनर्जीवित करें, ना केवल रविवार को बल्कि सप्ताह के दिनों में भी पवित्र मिस्सा में भाग लें।

2)हम मनन चिंतन कर देखें कि क्या हमारे आस पड़ोस में ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें आपको क्षमा करने की आवश्यकता है?

3)उन लोगों की पहचान करें जो अपने जीवन से परेशान हैं, अकेलापन और शोक में डूबे हुए हैं, उनके साथ येसु ख्रीस्त की शांति को बाटें।

प्यारे भाइयों एवं बहनों, हम जितना अधिक आध्यात्मिक रूप से तैयार रहेंगे, यह क्रिसमस हमारे लिए उतना ही बेहतर, अधिक आनंदमय और सार्थक होगा। आमेन।