roshan_tirkey

चक्र- ब – पेन्तेकोस्त महापर्व

प्रेरित-चरित 2:1-11; कुरिथियों 12:2-7, 12-13; योहन 20:19-23

ब्रदर रोशन तिर्की (जशपुर धर्मप्रान्त)


ख्रीस्त में प्यारे भाइयो और बहनो, आज माता कलीसिया पेन्तेकोस्त का महापर्व मना रहीं है। हम सब जानते हैं कि पेन्तेकोस्त कलीसिया का आधिकारिक जन्म दिन है। जिस दिन पवित्र आत्मा ने प्रेरितों पर उतरा था उसी दिन उन्होंने प्रेरित बन कर सुसमाचार घोषणा द्वारा प्रारंभिक कलीसिया का निर्माण किया। पवित्र माता कलीसिया की नींव प्रेरितों के विश्वास से डाली गयी। वह अनेक विश्वासियों के रक्त से पोषित और पवित्र आत्मा के द्वारा चलाए जाने वाला समुदाय है। नीसिया धर्मसार में, हम, एक पवित्र, कैथोलिक तथा प्रेरितिक कलीसिया पर अपना विश्वास प्रकट करते हैं। कलीसिया के प्रेरितिक कार्यों में पवित्र आत्मा की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि पवित्र आत्मा ही हम सब विश्वासियों को एकत्र करता है और हमारा आध्यात्मिक जीवन को संभालता है। कुरिंथियों के नाम पहला पत्र 12:13 में संत पौलुस कहते हैं “हम सब के सब एक ही आत्मा का बपतिस्मा ग्रहण कर एक ही शरीर बन गए हैं। हम सबको एक ही आत्मा का पान कराया गया है।”

आज के तीनों पाठ हमें यह याद दिलाते हैं कि पवित्र आत्मा की देन कुछ ऐसा ही है कि उसकी उपस्थिति हमारे जीवन में असाधारण एवं महत्वपूर्ण परिवर्तन लाती है,जैसे प्रेरितों के जीवन में हुआ था। आज के सुसमाचार में हम पाते हैं कि पुनर्जीवित प्रभु येसु अपने शिष्यों को दर्शन देते हैं जो भयभीत होकर द्वार बंद कमरे में बैठे हुए थे। प्रभु ने उनके बीच आकर उन्हें शांति प्रदान की और उन पर फूँक कर पवित्र आत्मा प्रदान किया। साथ-साथ प्रभु ने उन्हें पाप क्षमा करने की बड़ी जिम्मेदारी और कर्तव्य सौंपते हुए कहा, “पवित्र आत्मा ग्रहण करो! तुम जिन लोगों के पाप क्षमा करोगे, वे अपने पापो से मुक्त हो जाएंगे और जिन लोगों के पाप क्षमा नहीं करोगे, वे अपने पापों से बंधे रहेंगे।” (योहन 20:22-23) क्षमा करने की क्षमता मानव का नहीं बल्कि ईश्वर का दान है। संत पिता फ़्रांसिस कहते हैं, “क्षमा हमारे प्रयासों का परिणाम नहीं है, बल्कि एक उपहार है। यह पवित्र आत्मा का एक उपहार है जो हम पर दया और कृपा बरसाता है जो क्रूस पर चढ़ाये गए और पुनर्जीवित ईसा मसीह के खुले हृदय से निरंतर निकलता है।”

आज के पहले पाठ में हम पाते हैं कि पवित्र आत्मा से अभिषिक्त प्रेरितगण अपूर्व सामर्थ्य के साथ विभिन्न भाषाओं में ईश्वर के महान कार्यों का बखान करने लगे। शिष्यों के जीवन में पवित्र आत्मा का आगमन उन्हें एक पुनर्जीवित विश्वासी और साहस पूर्ण प्रेरित बनाया था। पवित्र आत्मा के आगमन ने उन्हें पूर्ण रूप से बदल दिया था। यह घटना हमें यह संदेश प्रदान करती है कि जब हमारे जीवन में पवित्र आत्मा का विशेष अनुभव मिलेगा तब हमारे जीवन में भी असाधारण परिवर्तन आयेगा जिससे हम भी दृढ़ता पूर्वक प्रभु के सुसमाचार का वाहक बन सकेंगे। पवित्र आत्मा से अभिषेक के इस अनुभव ने प्रेरितों को सुसमाचार की घोषणा करने मे साहस एवं बल प्रदान किया। वे सुसमाचार के कारण अपना प्राण गवांने के लिए भी सक्षम बने रहे। इस विषय में आज के दूसरे पाठ द्वारा संत पौलुस भी बताते हैं, “कोई ईश्वर के आत्मा से प्रेरित होकर यह नहीं कहता, ’ईसा शापित हो। और कोई पवित्र आत्मा की प्रेरणा बिना यह नहीं कह सकता, ’ईसा ही प्रभु है’। ( 1कुरिन्थियों 12:3)

प्रिय विश्वासियों! ख्रीस्तीय विश्वासी होने के नाते हम सब प्रेरितिक जीवन जीने के लिए आमंत्रित किए गए हैं। एक प्रेरितिक जीवन जीने के लिए हमें पवित्र आत्मा की सहायता की जरूरत है, क्योंकि वही हम में से प्रत्येक को वरदान देता है और हमें ईश्वर की राहों पर चलाता है। इस प्रेरितिक जीवन में सुसमाचार की घोषणा करने में हमें विभिन्न प्रकार की कठिनाईयों को सामना करना पड़ता है। इन चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों में लोगों को ईश्वर के साथ तथा एक दूसरे के साथ मेल मिलाप करने का कर्तव्य प्रेरित का है। आज का सुसमाचार के जरिये हमारा यह कर्तव्य बनता है कि पाप क्षमा के द्वारा सामाज में विभिन्न प्रकार के विभाजनों का सुलझाव लायें और सबों को एकता में बाँधें। क्षमा करने की क्षमता ही मनुष्यों को हर प्रकार के तनाव से मुक्त कर सकती है। यह क्षमता पवित्र आत्मा से ही प्राप्त होती है।

आज का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि पेन्तेकोस्त न केवल अतीत में घटित एक घटना है बल्कि यह वर्तमान की भी है। पवित्र आत्मा का अनुभव हमारे दैनिक जीवन में होना चाहिए ताकि हम अपने जीवन में आने वाली चिन्ताओं और प्रलोभनों का सामना करने में सक्षम हो सकेंगे। प्रतिदिन हम यह कृपा पाने के लिए प्रार्थना करें कि हमारे जीवन में पवित्र आत्मा की उपस्थिति और सहायता सदा हो। पुनर्जीवित प्रभु की शांति तथा पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन हमें निरंतर मिलती रहें। आमेन।