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चक्र- ब – सामान्य काल का तेइसवाँ इतवार

इसायाह 35:4-7; याकूब 2:1-5; मारकुस 7:31-37

ब्रदर पारसिंह डामोर (उदयपूर धर्मप्रान्त)


भाइयों और बहनों आज के पवित्र से समाचार में हम सुनते हैं, कि लोग एक बहरे गूंगे को ईसा के पास लाते हैं। हमारे मन में सवाल यही आता है, कि वह लोग उसे बहरे गूंगे को ईसा के पास क्यों लेकर जाते हैं? क्या उस व्यक्ति को पहले कभी इलाज के लिए वे लोग कहीं और नहीं ले गए होंगे? प्यारे भाइयों और बहनों जरूर हो सकता है; उस व्यक्ति को कई दूसरे डॉक्टर को दिखाया होगा । चंगाई देने वालों के पास ले गए होंगे पर, उसे चंगाई नहीं मिली। लेकिन आज ईसा के पास लेकर आते हैं। और उन्होंने यह प्रार्थना की, कि आप उस पर हाथ रख दीजिए। यहां पर लोग प्रभु ईसा से आग्रह करते हैं। और कहते हैं, कि आप उस पर अपना हाथ रख दीजिए। उन लोगों ने प्रभु येसु से यह नहीं कहा कि आप उसे चंगा कर दीजिए। प्रभु को उन्होंने यह भी नहीं कहा कि यह बहरा और गूंगा है। प्रिय भाइयों इसका मतलब यही है, कि प्रभु हमारी आवश्यकताओं को जानता है, कि हमें क्या-क्या चाहिए। हमें किन-किन चीजों की जरूरत है। वह सब कुछ जानता है, उसे सब कुछ मालूम है। पर वह हम मनुष्य को उसके पास आने के लिए बुलाता है। या हमारी राह देखते हैं। कि कब वह मेरे पास आए। हमें प्रभु के पास जाने की जरूरत है। लोग जानते थे, कि जब वह प्रभु के पास उस व्यक्ति को ले जाएंगे और प्रभु अपना हाथ ही उसके ऊपर रखेंगे तो वह अच्छी तरह से, पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाएगा। यहां पर प्यारे भाइयों और बहनों उन लोगों के विश्वास की बात है। अभी यहां पर आपके लिए और मेरे लिए एक सवाल उठता है। क्या ऐसा विश्वास हमारे पास है ? जन्म से या हम कई सालों से प्रभु के बारे में सुनते हैं। पर क्या हमारा भी उन लोगों के समान दृढ़ विश्वास है? जो हम प्रभु से कह सके कि प्रभु आपका एक स्पर्श ही मेरे लिए काफी है।

हम अपने दैनिक जीवन में आशिष, चंगाई, वरदान, प्रभु से पाते हैं। पर हम उन सभी चीजों का, सभी वरदानों का, सभी कृपाओं का अनुभव हमारे जीवन में कर पाते हैं? प्यारे भाइयों और बहनों आज हमें येसु के पास जाने कि जरुरत है। वो हमारा इन्तजार करता रहता है कि कब मेरा बेटा या बेटी मेरे पास आए। प्यारे भाइयों और बहनों क्या वास्तव में, हम विश्वास से प्रभु से प्रार्थना करते।

हम पवित्र पवित्र ग्रंथ में पढ़ते हैं संत मत्ति अध्याय 8:12 प्रभु कहते हैं, निरोगियों को नहीं रोगियों को वैद्य की जरूरत होती है। हां खीरत में प्यारे भाइयों और बहनों हम सब रोगी है। हमारे शरीर में आध्यात्मिक और शारीरिक रोगों से हम भरे पड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए गुस्सा, शत्रुता, लड़ाई, झगड़ा, मेल मुटाव - ये सब एक प्रकार के रोग हैं जो हमें प्रभु के पास जाने से रोकते हैं। अगर हम सच्चे हृदय और सच्चे मन से प्रभु के पास जाएंगे तो प्रभु हमें अवश्य वह प्रदान करेगा जो हमें चाहिए, जिसकी हमें ज्यादा जरूरत है। संत मत्ति 6: 32 में प्रभु कहता है, “तुम्हारा स्वर्गिक पिता जानता है कि तुम्हें किन चीजों की जरूरत है”। आज हम इस पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लेते हुए, प्रभु से यही प्रार्थना करें कि हमारे जो भी बंधन बढ़ चुके हैं, जिनको हम खोलने में असमर्थ है, जिनकी वजह से हम प्रभु की वाणी को सुन नहीं सकते हैं, और उसके पास जाने से डरते है, उन बंधनों को वे खोल दे ताकि हमेशा प्रभु के साथ जुड़े रहें।