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चक्र- ब – सामान्य काल का उन्नीसवॉं रविवार

1 राजाओं 19:4-8; एफेसियों 4:30-5:2; योहन 6:41-51

ब्रदर अनिल हेम्ब्रम (मुजफ्फरपुर धर्मप्रांत)


जीवन की रोटी

ख्रीस्त में प्यारे विश्वासियों, इस भाग-दौड़ की दुनिया में हम दिन-रात शारीरिक भूख-प्यास मिटाने के लिए बहुत मेहनत करते-रहते हैं, और आध्यात्मिक भोजन को, आध्यात्मिक जरूरतों को भूल जाते हैं।

प्यारे भाईयों और बहनों, हमारे महान गुरू, प्रभु येसु हमें वचन के माध्यम से, फिर से याद दिलाते हैं, और कहते हैं, ‘‘नश्वर भोजन के लिए नहीं, बल्कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो अनंत जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव पुत्र तुम्हें देगा; क्योंकि पिता ईश्वर ने मानव पुत्र को यह अधिकार दिया है।’’ (संत योहन 6:28)

प्यारे विश्वासियों, पिता ईश्वर हमें इतना प्यार करता है, हमारा इतना ख्याल रखता है, कि उसने हमारे लिए उस भोजन की भी सुविधा प्रदान की है जो अनंत जीवन तक बना रहता है और जो हमें नई स्फूर्ति से भर देता है। बस, हमें समय निकाल कर, इस विश्वास के साथ प्रभु येसु के पास जाना है, कि वह हमें अनंत जीवन देने वाली वह भोजन देगा, जिसे देने के लिए पिता ईश्वर ने उन्हें यह अधिकार दिया है।

आज के सुसमाचार में प्रभु येसु कहते हैं, ‘‘स्वर्ग से उतरी हुई रोटी मैं हूँ। जीवन की रोटी मैं हूँ। स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवंत रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खाएगा, तो वह सदा जीवित रहेगा।’’

प्यारे विश्वासियों, प्रभु येसु स्वयं रोटी हैं, और वह साधारण रोटी नहीं, बल्कि जीवन की रोटी, अर्थात् जीवन देने वाली रोटी, जिसे प्राप्त कर हम अमर रहेंगे।

लोग घंटों पवित्र संस्कार के सामने बैठकर समय व्यतीत करते हैं और पवित्र संस्कार से निकलने वाली आशिष को ग्रहण करते हैं। पवित्र संस्कार से निकलने वाली आशिष से लोगों को चंगाई और मन को शांति मिलती है। क्योंकि, पवित्र संस्कार में प्रभु येसु जीवन की रोटी बन कर उपस्थित होते हैं।

हम यह घटना भी सुने होंगे, कि पवित्र वेदी पर चढ़ाई गई रोटी से खून निकली है। क्यों? क्योंकि, जब पुरोहित साधारण रोटी के ऊपर आशिष की प्रार्थना पढ़ते हैं, तो स्वयं प्रभु येसु नम्र बनकर साधारण रोटी में जीवन की रोटी बन कर उपस्थित होते हैं।

संत योहन के अनुसार सूसमाचार 4:1-42 में हम, समारी स्त्री के बारे में पढ़ते हैं। यहॉं प्रभु येसु समारी स्त्री से कहते हैं, ‘‘जो यह पानी पीता है, उसे फिर प्यास लगेगी, किन्तु जो मेरा दिया हुआ जल पीता है, उसे फिर कभी प्यास नहीं लगेगी। जो जल मैं उसे प्रदान करूँगा, वह उसमें वह स्रोत बन जाएगा, जो अनंत जीवन के लिए उमड़ता रहता है।’’

संत योहन के अनुसार सुसमाचार 6:1-15 में हम रोटियों के चमत्कार के बारे में पढ़ते हैं। यहॉं प्रभु येसु जौ की पॉंच रोटियों से पॉंच हजार लोगों को खिलाते हैं।

प्यारे भाईयो और बहनो, यदि प्रभु येसु जीवन जल दे सकते हैं, और जौ की पॉंच रोटियों से पॉंच हजार लोगों को खिला सकते हैं, तो प्रभु येसु अवश्य जीवन की रोटी बनकर हमारी आध्यात्मिक भूख मिटा सकते हैं। हमारी आध्यात्मिक भूख को जीवन की रोटी से तृप्त करने के लिए हमें, हमेशा प्रभु येसु के पास जाना है। क्योंकि, प्रभु येसु के आलावा और कोई हमें जीवन की रोटी नहीं दे सकता है।

जब कोई चर्च में हमला करता है, तो सबसे पहले, लोग पवित्र संदूक पर आक्रमण करते हैं, क्योंकि उन्हें भी मालूम है, कि संदूक में जीवन की रोटी है, जिससे हमारे लिए आशिष और कृपा निकलती है। आक्रमण करने वाले लोग उस जीवन की रोटी को बर्बाद कर, हमें इससे वंचित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, हम ख्रीस्तीय कई बार इसके महत्व को समझ नहीं पाते हैं।

प्यारे विश्वासियों, तो आइए, हम प्रार्थना करें, कि प्रभु हमारा विश्वास बढ़ाये, ताकि हम प्रभु येसु को जीवन की रोटी के रूप में पहचान सकें।