roshan_damor

चक्र- ब – वर्ष का तेरहवॉं इतवार

प्रज्ञा 1:13-15, 2: 23-24; 2 कुरिन्थियो 8:7,9,13-15; मारकुस 5:21-43

ब्रदर रोशन डामोर (झाबुआ धर्मप्रान्त)


आज के पाठों के द्वारा माता कलीसिया हमें यह बताना चाहती हैं कि येसु ही जीवन का स्रोत है। माता कलीसिया हमें येसु के पास जाकर जीवन प्राप्त करने का आह्वान करती है। आज के पाठ इसी बात पर जोर देते है कि ईश्वर की इच्छा है कि हमें जीवन प्राप्त हो। इसी संदर्भ में आज का पहला पाठ कहता है कि ईश्वर ने मृत्यु नहीं बनायी वह प्राणियों की मृत्यु से प्रसन्न नहीं होता।

इसी बात का प्रमाण हमें सुसमाचार में प्राप्त होता है जहाँ प्रभु येसु जैरूस की बेटी को जीवन प्रदान करते है। संत योहन के पहले पत्र 4:9 में लिखा है कि ’’ईश्वर हम को प्यार करता है यह इस बात से प्रकट हुआ है कि ईश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को संसार में भेजा जिससे हम उसके द्वारा जीवन प्राप्त करें।‘‘ यह वाक्य इस बात को स्पष्ट करता है कि ईश्वर की इच्छा है कि हमें जीवन प्राप्त हों एवं इसी के द्वारा ईश्वर का प्यार प्रकट होता है। ईश्वर ने प्रभु येसु को बीमारों, पापियों एवं मुसीबत में पड़े लोगों का उद्धार करने एवं उन्हें नया जीवन देने हेतु इस संसार में भेजा। एवं स्वंय प्रभु येसु संत योहन 10:10 मे कहते है कि ’’चोर केवल चुराने, मारने और नष्ट करने आता है। मैं इसलिए आया हूँ कि वे जीवन प्राप्त करें बल्कि परिपूर्ण जीवन प्राप्त करें।‘‘

आज के सुसमाचार मे हमें दो चमत्कारों का वर्णन प्राप्त होता है। पहला रक्तस्त्राव पीड़िता की चंगाई एवं दूसरा जैरूस की बेटी को जीवनदान। दोनो चमत्कारों में हम देखते है कि वे येसु के पास आते हैं एवं येसु के द्वारा चंगाई प्राप्त करते हैं। उन दोनों का विश्वास था कि सिर्फ प्रभु येसु ही उन्हें उनके रोगों एंव समस्या से छुटकारा दिला सकते है। रक्तस्त्राव पीड़िता के विषय में हमें पता चलता है कि वह बारह बरस से रक्तस्त्राव से पीड़ित थी एंव अनेक वैद्यों के पास सब कुछ खर्च करने पर भी उसे कोई लाभ नहीं मिला। किन्तु जब वह ईसा के विषय में सुनती हैं तब वह अपने मन ही मन में कहती हैं कि यदि मैं उनका कपड़ा भर छूने पाऊँ तो अच्छी हो जाऊँगी। और वही जैरूस जो सभागृह का अधिकारी था येसु के पास आकर अपनी बेटी के लिए अनुनय विनय करता है। यह दोनों वर्णन इसी बात की ओर इशारा करते हैं कि जिस प्रकार वह येसु के पास गये उसी प्रकार हमें भी येसु के पास जाना है। क्योंकि प्रभु येसु स्वंय जीवन का स्रोत है एवं येसु के द्वारा ही हम जीवन प्राप्त कर सकते है। इसी बात को संत योहन 1:1-4 में कहते हैं कि ’’आदि में शब्द था, शब्द ईश्वर के साथ था शब्द ईश्वर था। उसके द्वारा सबकुछ उत्पन्न हुआ और उसके बिना कुछ भी उत्पन्न नहीं हुआ। उस में जीवन था और वह जीवन मनुष्यों की ज्योति था।‘‘

आज के दोनों चमत्कार हमें चंगाई प्राप्त करने हेतु एक आवश्यक बात के विषय में कहते है एवं वह है विश्वास। रक्तस्त्राव पीड़िता के विषय मे ंहम देखते है कि उसका विश्वास था कि यदि मैं उनका कपड़ा भर छूने पाऊँ तो अच्छी हो जाऊँगी, एवं इसी विश्वास के द्वारा वह चंगाई प्राप्त करती है। वही सभागृह का अधिकारी इस विश्वास के साथ आता है कि येसु ही उनकी बेटी को मृत्यु से बचा सकते हैं, एवं सुसमाचार मे ंहम पाते है की प्रभु येसु रक्तस्त्राव पीड़िता के विश्वास को देखते हुए कहते है बेटी तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा कर दिया है। एवं वहीं जब जैरूस अपने विश्वास में डगमगाता है तो येसु कहते हैं कि डरिए नहीं बस विश्वास कीजिए। वे दोनो व्यक्ति विश्वास के साथ येसु के पास आकर नया जीवन प्राप्त करते हैं। यह इस बात को बताता है कि अगर हमें जीवन प्राप्त करना है तो येसु पर अपना विश्वास मज़बूत रखना है। चाहे कैसी भी परिस्थिति हो अपने विश्वास में अडिग रहना है। इसी संदर्भ में रोमियों के पत्र 1:16 में लिखा है कि, ’’धार्मिक मनुष्य अपने विश्वास के द्वारा जीवन प्राप्त करेगा।‘‘ अगर हमे जीवन प्राप्त करना है तो हमें येसु के पास जाना है एवं विश्वास करना है।

आईये हम अपने आप को परख कर देखें कि हमारा विश्वास कितना मज़बूत है, एवं हमारे मन मे येसु के पास जाकर जीवन पाने की कितनी उत्सुकता है। अगर हम विश्वास में कमज़ोर है तो ईश्वर से वरदान माँगे की हमारा विश्वास मज़बूत हो, ताकि हम भी नया जीवन प्राप्त करें एवं चमत्कारों को अनुभव करें। आमेन।