fristo_paulson

चक्र- ब – सामान्य काल का चौथा इतवार

ब्रदर फ्रिस्तो पॉलसन (इन्दौर धर्मप्रान्त)

विधि-विवरण 18:15-20; 1 कुरिन्थियों 7:32-35; मारकुस 1:21-28


ख्रीस्त में मेरे प्रिय भाईयों और बहनों, आज का सुसमाचार हमारे सामने एक अधिकारिक आदेश प्रस्तुत करता है, जो ईश-पुत्र येसु के मुह से निकला था। यहाँ तक कि अशुद्ध आत्मा भी येसु का आदेश का सामना नहीं कर पाया तथा उसने उनकी आज्ञा का पालन किया और वह उस अपदूतग्रस्त मनुष्य से बाहर निकल आया। यह घटना येसु के वचनों की शक्ति तथा अशुद्ध आत्माओं पर उनके अधिकार को प्रकट करती है। येसु ने अधिकार के साथ उस अशुद्ध आत्मा का डाँटते हुए कहा, “चुप रह! उस मनुष्य से बाहर निकल जा” (मारकुस 1:25)। येसु के इस शक्तिशाली आदेश के सामने अपदूत टिक नहीं सका और वह चिल्लात हुए उस मनुष्य से निकल गया। यहाँ पर भी लोग अशुद्ध आत्मा पर येसु के अधिकार को देख कर चकित रह गए थे।

येसु इस दुनिया में समस्त बुराईयों एवं पापों से मुक्ति दिलाने आये, जो ईश्वर की ओर अग्रसर होने में बाधक बनते हैं। येसु ने अपने वचनों द्वारा शोषितों को स्वतंत्रता, लोगों के जीवन में परिवर्तन, पापियों को क्षमादान, दुखियों को सांत्वना, मृतकों को पुनरूत्थान तथा बीमारों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया।

आज के सुसमाचार के आधार पर यदि हम अपने जीवन को परखते हैं, तो पाते हैं कि हम भी कई प्रकार की अशुद्धात्माओं से आविष्ट हैं। यह अशुद्ध आत्मा हम प्रत्येक में विभिन्न रूपो में विद्यमान है, जैसे घमण्ड, ईर्ष्या, द्वेष, अन्याय, क्रोध, लालच इत्यादि। ये कभी-कभी हमेंअपने अधिकार में कर लेते हैं। जब हम सांसारिक चीजों की ओर आकर्षित होते हैं, तब हम उनके दास बन जातेहैं। ऐसी अवस्था में हमें येसु के चंगाई-स्पर्ष की आवश्यकता है।

आइये, हम प्रभु येसु से प्रार्थना करें कि वे हम में विद्यमान अशुद्ध आत्माओं को निकालें, ताकि हम येसु की सहायता से अपने वचनों तथा कार्यों को यथार्थ और मुक्तिदायी बना सकें एवं समाज में उपस्थित बुराई की शक्तियों को नष्ट कर सकें। आमेन।