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चक्र- अ – प्रभु के शरीर-धारण के संदेश का महापर्व

इसायाह 7:10-14 इब्रानियों 10:4-10 लूकस 1:26-38

ब्रदर सतीश मोहे (खंड़वा धर्मप्रान्त)


ख्रीस्त में मेरे प्रिय भाईयो और बहनो।

आज माता कलीसिया प्रभु येसु के देह-धारण के संदेश का पर्व मनाती है। आज से नौ महिनों के बाद हम प्रभु येसु ख्रीस्त के जन्मोत्सव मनाने वाले हैं। आज वह दिन है, जब स्वर्गदूत गाब्रियल, ईश्वर की ओर से माता मरियम के पास आते हैं यह संदेश सुनाने के लिये कि आप गर्भवती होगीं, और पुत्र प्रसव करेंगी। और उसका नाम इम्मानवेल रखा जाएगा। प्रभु येसु के जन्म के सात सौ वर्ष पहले ही नबी इसायाह ने इसकी भविष्यवाणी की थी। नबी इसायाह का ग्रन्थ 7:14 कहता है, “देखो एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी और उसका नाम इम्मानवेल रखा जायेगा”। आज हम उसी घटना का पर्व मना रहे है। गाब्रिएल दूत आज माता मिरयम के पास आते और कहते हैं कि आप ईश्वर की माँ बनेंगी।

प्रभु येसु इस संसार में मनुष्यों के पापों को दूर करने के लिये आये थे। इसलिये प्रभु येसु के नाम का अर्थ मुक्तिदाता है। पेभु येसु मनुष्यों को मुक्ति देने के लिये संसार में आना चाहते थे। और इसलिये स्वर्गदूत माँ मरियम के पास आते हैं और माँ मरियम से कहते कि आप प्रभु येसु की माँ बनेगी।

करीब दो हजार वर्ष पहले माँ मरियम ईश्वर की योजना को अपने जीवन में अपनाते हुये प्रभु येसु को इस संसार में लाने के लिये ’हाँ’ कह देती है। और आज प्रभु येसु आपके द्वारा और मेरे द्वारा इस संसार में आना चाहते हैं। स्वर्गदूत गाब्रिएल आज के दिन आपके पास आते हैं मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि आप प्रभु येसु को इस संसार में प्रकट कीजिए। जैसे माँ मरियम ने उस स्वर्गदूत के संदेश के लिये हाँ कहती है, उसी प्रकार हमें भी ’हाँ’ कहना है। हमें प्रभु येसु को हमारे शब्दों के द्वारा, कर्मों के द्वारा इस संसार के लोगों के सामने प्रस्तुत करना है। माँ मरियम ने नौ महिने प्रभु येसु को अपने गर्भ में धारण करके इस संसार में प्रस्तुत की थी। उसी प्रकार जब कभी भी हम प्रभु येसु के पावन शरीर और रक्त को ग्रहण करते है प्रभु येसु भी हमारे अन्दर आ जाते हैं। प्रत्येक दिन हमें भी प्रभु येसु को दूसरों के लिये देना है जिस प्रकार माँ मरियम ने दिया था।

पिता ईश्वर ने माता मरियम को चुना प्रभु येसु की माँ बनने के लिये। यह योजना उत्पत्ति ग्रन्थ से ही शुरू हुयी थी। जब मनुष्यों ने पाप किया था, उन मनुष्यों के पापों को दूर करने के लिये पिता ईश्वर ने उसी समय से एक मुक्ति-योजना बनायी और उसे पूरा करने के लिये पिता ईश्वर ने माँ मरियम को चुना क्योंकि माँ मरियम निष्कलंक थी। यदि हमें भी प्रभु येसु को इस संसार में लेकर आना है तो हमें भी माँ मरियम के समान निष्कलंक बनना है। संत मती 5:8 में कहता है कि वही जिसका हृदय निर्मल है, ईश्वर का दर्शन कर पयेगा। माँ मरियम निर्मल थी माँ मरियम का जीवन शुद्ध था इसलिये प्रभु ने उसे चुना।

आज हमें भी प्रभु येसु को इस संसार में देना है तो हमारा जीवन भी शुद्धता में आगे बढ़ना है, हमारे जीवन में भी पवित्रता का होना है। ताकि हम उस प्रभु को हमारे जीवन में पूरी तरह से ग्रहण कर सकें। आमेन।