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चक्र- अ – पास्का का चौथा इतवार

प्रेरित चरित: 2:14, 36-41; 1 पेत्रुस 2:20-25; योहन 10:1-10

ब्रदर अमित सोरेन (मुजफ्फरपुर धर्मप्रांत)


ख्रीस्त में प्यारे भाइयों एंव बहनों, हम लोगों ने अक्सर गावों में गड़ेरिये और उसकी भेड़ों को देखा होगा। गड़ेरिया अपनी भेड़ों को चराते-चराते उसे अपनी हरेक भेड़ों का अनुभव हो जाता है। वह अपनी प्रत्येक भेड़ को अच्छी तरह जानने लगता है। गड़ेरिया और भेड़ों के बीच एक घनिष्ट समबन्ध बन जाता है। कुछ ऐसी ही बात हम आज के पवित्र सुसमाचार में सुनते हैं। प्रभु येसु कहते हैं, ”मैं भला चरवाहा हुँ“। इसी विषय पर आज हम मनन चिंतन करेंगे। आज के तीनों पाठों में भले चरवाहे और उसकी रेवड़ के गुणों की चर्चा की गयी है। पुराने व्यवस्थान में ईश्वर ने अपनी तुलना भले चरवाहे से और अपनी प्रजा इस्राएलियों की तुलना भेड़ों से की है।

प्रभु ईश्वर नबी एजेकिएल के मुख से इस प्रकार बोलते हैं, ”मैं स्वयं अपनी भेड़ों की सुध लूँगा और उनकी देखभाल करूँगा। भेड़ों के भटक जाने पर जिस तरह गड़ेरिया उनका पता लगाने जाता है, उसी तरह मैं अपनी भेड़ें खोजने जाउँगा“ (एजेकिएलः 34:11-12)। इस उदाहरण में ईश्वरीय प्रेम का वर्णन है। इसमें चूनी हुई इस्राएली प्रजा के प्रति ममता का उजागर किया गया है। इस्राएली लोग भेड़ों को चराये करते थे। भेड़ें चराना उनका मुख्य काम था। प्रत्येक चरवाहा अपनी भेड़ों को भली-भाँति जानता था। इसी संदर्भ में स्तोत्रकार भी ईश्वर की तुलना भले गड़ेरिये से करते हैं। वह कहता है, ”प्रभु मेरा चरवाहा है, मुझे किसी बात की कमी नहीं“ (स्तोत्रः 23:1)। वास्व में इस स्तोत्र में एक गड़ेरिये के द्वारा ईश्वर की प्रेममय गुण एंव गहरे आनन्द को दर्शया गया है।

प्रिय भाइयों एंव बहनों हमारे प्रभु येसु ने चरवाहे के सटीक उदाहरण को अपने लिए अपनाया। वे कहते हैं, “भला चरवाहा मैं हुँ”। भेड़ें उनकी आवाज पहचानती है और वह नाम ले ले कर अपनी भेड़ों को बुलाता और बाहर ले जाता है। हमें निश्चित रूप से ज्ञात है कि वह हम में से प्रत्येक को पूर्णरूप से जानता है। वह हमें हर क्षण, हर पल आवाज देकर बुलाता है। यदि हम प्रभु पर विश्वास करते हैं, यदि हम उससे प्रेम करते हैं, यदि हम उसकी शिक्षा का पालन करते हैं, तो हम उसकी आवाज को पहचान पायेंगे। मेरे प्यारे भाइयों एंव बहनों ईश्वर की संतान होने के नाते उसकी आवाज को सुनना और पहचानना हमारा परम कर्तव्य है।

प्रभु येसु आज के सुसमाचार में अपने को भेड़शाला का द्वार भी कहते हैं। इस वाक्य के माध्यम से प्रभु हमें क्या कहना चाहते हैं? हमें इसको भी समझना अति आवश्यक है। यह भेड़शाला ईश्वर के राज्य का प्रतिक है। यह हमारी कलीसिया का प्रतिक है और द्वार स्वयं येसु मसीह हैं। क्योंकि पवित्र वचन कहता है, ”यदि कोई मझसे होकर प्रवेश करेगा, तो उसे मुक्ति प्राप्त होगी। वह भीतर-बाहर आया जाया करेगा और उसे चरागाह मिलेगा“ (संत योहन 10:9)। पिता ईश्वर ने अपने पुत्र का बलिदान देकर हमारे लिए मुक्ति का द्वार खोल दिया और हमें पापों से मुक्ति दिलायी। प्रिय भाइयों एंव बहनों हम अपने आप से यह पुछें कि हम येसु ख्रीस्त से होकर कैसे प्रवेश करें कि हमें मुक्ति मिल सके। इसका सरल उत्तर है कि हम येसु ख्रीस्त की आवाज को पहचानें। हम अपने दैनिक जीवन को पवित्र वचन के अनुसार जीने की कोशिश करें। हम ख्रीस्त मुल्यों को अपने जीवन में उतारें ताकि हमें मुक्ति मिल सके। प्रभु येसु ख्रीस्त ने कहा है, ”मार्ग सत्य और जीवन मैं हुँ“ (योहनः14:6)। हम सब के लिए प्रभु येसु ही निश्चित मार्ग, अनंत सत्य और सम्पूर्ण जीवन है। प्रभु येसु इसका साक्ष्य अपने देहधारण से, अपने प्रेरितिक कार्यों से, अपने भयंकर दुःखभोग से और क्रूस पर अपने जीवन बलिदान से देते हैं।

आज के सुसमाचार के द्वारा प्रभु येसु हमें चोर और डाकूओं से सावधान करते हुए कहते हैं कि जो फाटक से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, बल्कि दूसरे रास्ते से चढ़ कर आता है, वह चोर और डाकू है। ”चोर केवल चुराने, मारने और नष्ट करने आता है“ (योहनः 10:10)। ये चोर और डाकू कौन हैं? ये वे लोग हैं जो प्रभु येसु के भेड़ों को उनसे और उनकी शिक्षा से दूर ले जाते हैं। ये वे लोग हैं जो प्रभु येसु जो हमारा भला चरवाहा है, उनके पदचिन्हों पर चलने से हमे रोकते हैं, येसु की आवाज को सुनने एंव पहचानने से रोकते हैं तथा भले चरवाहे के भेड़ों को तितर-बितर करते हैं। इस प्रकार के लोगों से हमें सावधान रहने की जरूरत है। इसलिए आवश्यक है कि हम चोर और डाकू की अनजान आवाज के पीछे नहीं भागे, बल्कि भले चरवाहे की सुपरिचित आवाज को सुनकर उसके पीछे चलें।

प्रभु येसु ने प्ररित पेत्रुस से कहा था, ”मेरे मेमनों को चराओ“ (योहनः21:15)। प्रभु येसु ने संत पेत्रुस को हमारी कलीसिया का प्रधान चरवाहा नियुक्त किया। इस उत्तरदायित्व को सहर्ष स्वीकार करके संत पेत्रुस ने अपनी मृत्यु तक कलीसिया को विश्वास के सुत्र में बाँधे रखा और लोगों को मुक्तिदाता प्रभु येसु का, मानवजाति के पापों के लिए क्रूस पर उनके बलिदान तथा महिमामय पुनरूत्थान का साक्ष्य दिया। कलीसिया के इतिहास में संत पेत्रुस के जितने भी उत्तराधिकारी चुने गये, उन्होंने प्रधान चरवाहे का उत्तरदायित्व निभाया। संत पिता फ्रांसिस कलीसिया के प्रधान चरवाहे हैं। इनके अलावा हर एक धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष, और हर एक पल्ली के पुरोहित अपने-अपने स्तर पर कलीसिया में ईश्वरीय प्रजा के चरवाहे हैं। वे ईश्वर के द्वारा नियुक्त एंव चूने जाते हैं। वे उसी से चरवाहे का अधिकार और सेवा करने का उत्तरदायित्व पाते हैं। हम इस बात को भी मन में रखें कि संत पिता, धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के अतिरिक्त प्रभु ने हम प्रत्येक को किसी न किसी रूप में चरवाहा नियुक्त किया है। माता-पिता अपने परिवार के चरवाहे हैं। भाई-बहन अपने से छोटे भाई-बहनों के चरवाहे हैं। शिक्षक-शिक्षिकाएँ अपने छात्र-छात्राओं के चरवाहे हैं। हमारे देश के जितने भी नेतागण हैं, वे देशवासियों के चरवाहे हैं। दरअसल हम सब का कर्तव्य है कि भले चरवाहे के समान हम दूसरों की देखभाल करें। आज हम मनन चिंतन कर खुद से पूछ कर देखें कि क्या मैंने अपने जीवन को सुधारने के लिए प्रभु की आवाज को सुनने और पहचानने की कोशिश की? तो आइये हम प्रभु येसु से यही दुआ माँगे कि हम अपने दैनिक जीवन के द्वारा दूसरों के लिए एक भले चरवाहे का उत्तम उदाहरण बन सकें।