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चक्र- अ – खीस्त के पवित्रतम शरीर तथा रक्त का महापर्व

विधि-विवरण 8:2-3,14-16, 1 कुरिन्थियों 10:16-17; योहन 6:51-58

ब्रदर पारसिंह डामोर (उदयपूर धर्मप्रान्त)


ख्रीस्त में प्यारे भाइयों और बहनो, आज हम प्रभु येसु ख्रीस्त के अति पवित्रतम शरीर और रक्त का त्यौहार मना रहे हैं। जब कभी हम पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लेते हैं, पवित्र परम प्रसाद और दाखरस को ग्रहण करते हैं, वह सिर्फ रोटी और दाखरस नहीं है, बल्कि प्रभु येसु का शरीर और रक्त है; क्योंकि प्रभु येसु ने पवित्र बृहस्पतिवार को पवित्र परम प्रसाद की स्थापना की। उन्होंने भोजन करते समय रोटी ले ली और धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ने के बाद, उसे तोड़ा और यह कहते हुए अपने शिष्यों को दिया, "ले लो और खाओ यह मेरा शरीर है”। उसके बाद उन्होंने प्याला लेकर धन्यवाद की प्रार्थना पड़ी, और यह कहते हुए उसे अपने शिष्यों को दिया, "तुम सब इसमें से पियो, क्योंकि यह मेरा रक्त है, विधान का रक्त जो बहुतों की पाप क्षमा के लिए बहाया जा रहा है।” (मत्ती 26:26-28)

खीस्त में प्रिय भाइयो और बहनो, इस वाक्य से हमें स्पष्ट होता है कि प्रभु येसु ने स्वयं अपने शरीर और रक्त को आप और मेरे लिए चढ़ा दिया है, ताकि हम उसको ग्रहण कर अनंत जीवन प्राप्त करें। हम संत पोहन के सुसमाचार अध्याय 6 वाक्य 53 में पढ़ते हैं, "में तुम लोगों से यह कहता हूँ, यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा।” और आगे वाक्य संख्या 54-56 में पढ़ते हैं, प्रभु कहते हैं, "जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, उसे अनंत जीवन प्राप्त है। क्योंकि मेरा मांस सच्चा भोजन है, और मेरा रक्त सच्चा पेय, जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, वह मुझ में निवास करता है और में उसमें।”

हमें इन सब बातों से यही पता चलता है, या हम कह सकते हैं कि प्रभु येसु का इस संसार में जन्म लेने और कुस पर मरने का यह लक्ष्य था कि हमें अनंत जीवन प्राप्त हो सके। हमारे मन में यह सवाल उठता है, क्यों पिता ईश्वर अपने इकलौते पुत्र को इस दुनिया में भेजता है? इसका जवाब हम संत योहान के सुसमाचार अध्याय 3: 16 में हम पढ़ते हैं, "ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि, उसने उसके लिए अपने इकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया जिसे जो कोई उस में विश्वास करता है, उसका सर्वनाश ना हो बल्कि अनंत जीवन प्राप्त हो।”

प्यारे भाइयो और बहनो, प्रभु येसु आपके और मेरे उद्धार के लिए अपने आप को क्रूस पर चढ़ा देते हैं; ताकि जो कोई उस में विश्वास करें वह अनंत जीवन प्राप्त करें। हमारे लिए यह सोचने की बात है, कि मुझे अनंत जीवन प्राप्त करने के लिए क्या करना होगा? हम हर दिन के या हर रविवार के पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लेते हैं और पवित्र परम प्रसाद को ग्रहण करते है। क्या इस प्रकार हर दिन पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लेने से मुझे, अनत जीवन प्राप्त होगा? शायद नहीं, क्योंकि प्रभु येसु हमारी शारीरिक उपस्थिति को नहीं देखते, बल्कि हमारे हृदय को देखते हैं - मेरा हृदय कितना पवित्र है, कितना साफ है, कितना निर्दोष है। साथ ही, जब हम पवित्र परम प्रसाद को ग्रहण करते हैं तब हमारा दिल कितना पवित्र है? कितनी श्रद्धा भक्ति, मुझ में निहित हैं? क्या मैं पवित्र परम प्रसाद को ग्रहण करने के पहले अपने आपको तैयार करता हूँ? जब मैं पवित्र परम प्रसाद को ग्रहण करता हूँ, तो क्या मैं सचमुच उस में विश्वास करता हूँ? कि वास्तव में प्रभु येसु का शरीर और रक्त को ग्रहण कर रहा हूँ? क्या में जब भी चर्च में जाता हूँ, तो प्रभु येसु की उपस्थिति को पहचान पाता हूँ? क्या जब प्रभु येसु का शरीर ग्रहण करता हूँ, तो मुझ में कुछ परिवर्तन होता है या नहीं? जब हम इन सवालों के जवाब ढूँढ़ेंगे, तब हमें अपनी कमियाँ म्महसूस होंगी। तो प्रिय भाइयों और बहनों हमको तैयार होने की सख्त जरूरत है। क्योंकि हम प्रभु येसु के पवित्र शरीर और रक्त को अभी तक पहचान नहीं पाए हैं। भाइयो और बहनो, आइए हम थोड़ी देर मौन रह कर प्रभु ईश्वर से यही प्रार्थना करें; कि हमारे विश्वास को दिनों दिन मजबूत बनाएं। हम प्रभु से यही प्रार्थना करें, कि जब कभी हम येसु के शरीर और रक्त ग्रहण करते हैं; तो हमारा जीवन को भक्ति मय बना सकें और विश्वासी मनुष्य बन कर एक दूसरे की मदद करते हुए हमारे जीवन में परिवर्तन ला सकें। आमेन