anil_hembrom

चक्र- अ – सामान्य काल उन्तीसवाँ इतवार

इसायाह 45:1,4-6; 1थेसलनीकियों 1:1-5; मत्ती 22:15-21

ब्रदर अनिल हेम्ब्रम (मुजफ्फरपुर धर्मप्रांत)


ख्रीस्त में मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आप लोगों ने ध्यान दिया होगा, कि हर समाज, गांव या इलाके में कम से कम एक समूह होता है, जो अपने विशेष कार्य के लिए जाने जाते हैं। हम यह भी गौर किए होंगे, कि समाज में ऐसे लोग भी हैं, जो हमेशा लोगों की गलतियां ढूंढते रहते हैं। लोगों को ठगना उनका मूल कर्तव्य जैसे होता है। उन्हें किसी की भलाई पसंद नहीं होती है। उन्हें लोगों के अच्छे कामों को देखकर जलन होती है। उन्हें अच्छे लोगों का पता लगाने में समय नहीं लगता और जब उन्हें मालूम हो जाता है कि समाज में एक अच्छे व्यक्ति का उदग्म हुआ है, जिसकी काफी चर्चा चल रही है। सभी लोग उनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह सब उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं होता है और समय निकालकर जितना जल्दी हो सके, उसे चंगुल में फंसा कर उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन हकीकत यह भी है कि अच्छे व्यक्ति भी दिमागी तौर से तरकीब लगाकर लोगों की दिमाग को भाँप लेते हैं और जो आवश्यक हो, कर बैठता है। तब उन्हें पता चल जाता है कि यह उनके वश की बात नहीं है, तब वे उन्हें छोड़ कर चले जाते हैं।

ठीक इसी प्रकार की बात को हम आज के सुसमाचार संत मत्ती, अध्याय 22 पद संख्या 15 से 24 में पढ़ते हैं। प्यारे और बहनों फरीसियों ने येसु की काफी चर्चा सुनी थी, कि येसु सत्य बोलते हैं और सच्चाई से ईश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। येसु का सत्य बोलना और सच्चाई से ईश्वर के मार्ग की शिक्षा देना, उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था। फरीसी येसु को अच्छे काम करते फंसाने में असफल रहे। इसलिए उन्होंने येसु को बात-बात में फंसाने का परामर्श किया। फरीसियों को शायद मालूम था कि वे येसु को फंसाने में सक्षम नहीं होंगे। फिर भी उन्होंने कोशिश की और फरीसियों ने अपने शिष्यों को हेरोदियों के साथ येसु को प्रश्न पूछने भेजा, कि “कैसर को कर देना उचित है या नहीं।” येसु के बहादुर जवाब सुनकर वे अचंभे में पड़ गए और उन्हें छोड़कर चले गए। फरीसियों को एहसास हो गया कि अब वे उन्हें फंसा नहीं सकते, इसलिए वे प्रभु येसु को छोड़कर चले गए।

प्यारे भाइयों-बहनों, हम संत मत्ती के अनुसार सुसमाचार अध्याय 12 पद संख्या 9 से 15 के बीच में पढ़ते हैं। प्रभु येसु सूखे हाथ वाले को अच्छा करते हैं। यहाँ वचन कहता है, ईसा पर दोष लगाने के लिए लोगों ने उनसे यह पूछा, "क्या विश्राम के दिन चंगा करने की आज्ञा है?" ईसा ने उनसे कहा, "यदि तुम्हारे एक ही भेड़ हो और वह विश्राम के दिन गड्ढे में गिर जाये, तो तुम लोगों में ऐसा कौन होगा, जो उसे पकड़ कर निकाल नहीं लेगा? मनुष्य तो भेड़ से कहीं बढ़ कर है। इसलिए विश्राम के दिन भलाई करने की आज्ञा है।" प्रभु येसु के तर्क पूर्ण जवाब को सुनकर, फरीसियों को समझ में आ गया, कि वह प्रभु को फंसा नहीं सकते।

प्यारे विश्वासियों, हम भी कई बार फरीसियों के समान व्यवहार करते हैं। जब हमें अच्छी बातें बताया जाता है, तो हम सुनते हैं पर, उन अच्छाईयों में भी हम गलतियाँ ढूढ़ते हैं।

हम विश्वासीगण मिस्सा पूजा में भाग लेते हैं और प्रभु की आशिष ग्रहण करते हैं। लेकिन हम में भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो पुरोहित का उपदेश या बात सुनते हैं और उसमें गलतियों को पकड़ने की कोशिश करते हैं और आपस में चर्चा का विषय बनाते हैं।

आइए, हम प्रभु से विनती करें, ताकि हम किसी बात या कार्य को गलती ढूढ़्ने या फंसाने की दृष्टि से नहीं देखें, बल्कि अच्छाई को पहचानने की कृपा मांगे और प्रभु येसु की आशिष पाने के लिए प्रार्थना करें। आमेन।