Manish_Khadiya

चक्र- अ – वर्ष का अठ्ठाइसवाँ सामान्य इतवार

इसायाह 25:6-10; फिलिप्पियों 4:12-14,19-20; मत्ती 22:1-14

ब्रदर मनीश खड़िया (झाबुआ धर्मप्रान्त)


प्रभु येसु का निमंत्रण

प्यारे भाइयों और बहनों आज प्रभु येसु हमें राजकीय विवाह भोज में भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं। हमें इस राजकीय के विवाह भोज पर विचार करने की आवश्यकता है, कि राजकीय विवाह भोज का क्या अर्थ हैं। यह हमारे लिए ईश्वर के राज्य में बुलावा हैं। जहां शांतिमय और आनंदमय जीवन हो। हमें इसे गहराई से विचार करना हैं, क्या इस जीवन के बाद हमारा दूसरा जीवन हैं। जहां शांति और अमन हैं।

हम संत मत्ती 25: 1-46 में न्याय का दिन के बारे में सुनते हैं, जब मानव पुत्र सब स्वर्गदूतों के साथ अपनी महिमा-सहित आएगा, तो वह अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा और सभी राष्ट्र उसके सम्मुख एकत्र किए जाएंगे, इससे स्पष्ट होता है कि इस जीवन के बाद हमारा जीवन संभव है, अर्थात स्वर्ग में हमारा जीवन। हमें इस धरती पर रहते हुए प्रभु येसु की सभी दिखाई हुई शिक्षा को जीवन में पालन करना है। उसके अनुसार जीवन बिताना है और दूसरों को भी प्रभु येसु के मार्ग पर चलने के लिए तैयार करना है। तभी हम स्वर्ग राज्य के आनंद में भाग ले सकेंगे।

अगर हम इस धरती पर हमारा जीवन पाप में जीते हैं, प्रभु येसु की आज्ञाओं का पालन नहीं करते हैं तो प्रभु येसु न्याय के दिन स्वर्ग में राज सिंहासन पर विराजमान होकर हमारा न्याय करेंगे। वह हमसे कहेंगे शापितों! तुम मुझसे दूर हट जाओ। उसे अनंत आग में जाओं, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गई हैं।।

आज के सुसमाचार 22:14 में हम पढ़ते हैं "क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत है, लेकिन चुने हुए थोड़े हैं" बहुतों को तो बुलाया गया था, लेकिन उनमें से सब के सब नहीं चुने गए, क्योंकि उनके लिए उनका व्यापार, काम-धंधा, पेशा, सगे-संबंधी, पैसा, घर और संसार की मोहमाया, यह सब स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए बाधा बनतें हैं। जब तक हम यह सभी नहीं छोड़ते हैं, तो हम स्वर्ग राज्य के आनंद में भाग नहीं ले सकते। प्रभु येसु हमें अपने राज्य में अस्वीकार नहीं करते हैं परंतु हम स्वयं प्रभु येसु के निमंत्रण को स्वीकार नहीं करते हैं। हम दूसरा रास्ता अपनाते हैं जो हमें प्रिया लगता है।

हम संतों के बारे में जानते हैं, उन्होंने संसार के सभी मोहमाया को त्याग कर प्रभु येसु को अपनाया। हम संत फ्रांसिस असीसी के बारे में जानते हैं। उनका जन्म एक धनी परिवार में होता है। वह अपने मन परिवर्तन से पहले अपना जीवन खुशहाली में जीता है, संसार की रंगरलिया और मोहमाया में डूबा रहता हैं। जब उसका मिलन एक भिखारी से होता है तो वह अपना सब कुछ त्याग देता हैं। हमें संत फ्रांसिस की तरह हमारा पापमय जीवन त्यागने के लिए तैयार रहना हैं।

हम संत लुकस के अनुसार 19: 1-10 में जकेयुस नामक एक प्रमुख और धनी नाकेदार के बारे में पढ़ते हैं, जब प्रभु येसु से उनका मिलन होता है, प्रभु येसु उनके घर ठहरने के लिए जाते हैं। उसका मन परिवर्तन हो जाता हैं। तो जकेयुस दृढ़ता से कहता है- "प्रभु! देखिए, मैं अपनी आधी संपत्ति गरीबों को दूंगा और मैंने जिन लोगों के साथ किसी बात में बेईमानी की है, उन्हें उसका चौगान लौटा दूंगा। प्यारे भाइयों और बहनों जब प्रभु येसु हमें मिस्सा बलिदान में परमप्रसाद के रुप में मिलने के लिए आते हैं। क्या हम जकेयुस के समान अपना मन परिवर्तन करने के लिए तैयार है? क्या हम बेईमानी और पापमय जीवन त्यागने के लिए तैयार हैं।

संत मत्ती के अनुसार 9:9 में मत्ती के बुलावा के बारे में सुनते हैं, प्रभु येसु मत्ती नमक व्यक्ति को चुंगी -घर में बैठा हुआ देखते हैं और उनसे कहतें हैं "मेरे पीछे चले आओ और वह उठकर उनके पीछे हो लिया। हमें भी मत्ती की तरह प्रभु की आवाज सुनकर उनके राज्य के निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना हैं। जब तक हम हमारा पापी जीवन नहीं त्यागते हैं, हम प्रभु येसु के स्वर्ग के अनंत आनंद में भाग नहीं ले सकेंगे। कुरिंथियों के पत्र 2:10 में धर्म ग्रंथ कहता है-ईश्वर ने अपने भक्तों के लिए जो तैयार किया है, उसको किसी ने कभी देखा नहीं, किसी ने सुना नहीं और किसी न कोई उसकी कल्पना ही कर पाया।

तो प्रिय भाइयों और बहनों हमारे सामने प्रश्न उठता है क्या मैं प्रभु के राज्य के इस निमंत्रण को स्वीकारता हूँ? या मैं दूसरे कामों में व्यस्त रहता हूँ? हमने पहले उनके निमंत्रण को बपतिस्मा संस्कार में स्वीकार किया हैं। हमें आज पुनः निमंत्रण मिला है। हमें पवित्रता का वस्त्र पहन कर विवाह भोज में भाग लेना है, लेकिन ख्रीस्तीयों के लिए विवाह भोज के इस वस्त्र से मतलब, प्रकाशना ग्रन्थ 7: 9, 13, 14 में देखतें है, हमें उजले वस्त्र पहनकर स्वर्ग राज्य में प्रवेश करना हैं। हमें मेंमनें के रक्त में अपने वस्त्र उजले कर लेना है। मेंमनें के रक्त, अर्थात प्रभु येसु के रक्त में वस्त्र उजले करना है। हमें हमारा जीवन प्रभु येसु के नियम के अनुसार बिताना है। ताकि प्रभु येसु के राज्य में प्रवेश कर सकें।

प्यारे भाइयों और बहनों जरा सोच विचार करें, बुलाए हुए में मेरी स्थिति क्या है? क्या मैं पवित्रता के उजले वस्त्र पहन कर प्रभु येसु के निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए तैयार हूँ? हम प्रभु येसु से आशीष मांगे, ताकि उसके निमंत्रण को हमेशा स्वीकार करने के लिए तैयार रह सके। आमेन।।।।।।