ashwin_damor

चक्र- अ – वर्ष का पच्चीसवाँ इतवार

इसायाह 55:6-9; फिलिप्पियों 1:20-24,27; मत्ती 20:1-16

ब्रदर अश्विन डामोर (झाबुआ धर्मप्रान्त)


ख्रीस्त में मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आज-कल हम देखते हैं कि अधिकांश नगरों और शहरों में बेरोजगार लोग बाजारों में रोजगार के लिए सुबह-सुबह बैठे रहते हैं ताकि उन्हें कुछ काम मिल जाए और अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी की व्यवस्था कर सकें।

इसी तरह आज के सुसमाचार में हम भूमिधर और मजदूरों के बारे में पढ़ते हैं। इस दृष्टांत में हम सुनते हैं “स्वर्ग का राज्य उस भूमिधर के सदस्य है जो अपनी दख़बारी में काम कराने के लिए बहुत सबेरे घर से निकला और मजदूरों के साथ एक दीनार का रोजाना तय कर उन्हें अपनी दाखबारी में भेज दिया। लगभग पहले पहर वह घर से बाहर निकला और कुछ मजदूरों को खड़ा देखकर उन्हें भी अपनी दाखबारी भेज दिया। लगभग दूसरे और तीसरे पहर भी उसने बाहर निकल कर ऐसा ही किया। इसी तरह वह एक घंटा दिन रहे फिर घर से निकला और दूसरों को खड़ा देखकर उन्हें भी अपनी दाखबारी में काम करने के लिए भेज दिया।

इस दृष्टांत से हमें यह सीख मिलती है कि ईश्वर किसी के साथ अन्याय नहीं करता। हमने देखा कि संध्या होने पर भूमिधर ने अपने करिंदा से कहा कि सभी मजदूरों को उनकी मजदूरी दे दो, बाद में आने वालों से लेकर पहले आने वालों तक। जब सबको बराबर मजदूरी दी गई, तब पहले आने वालों को बुरा लगा क्योंकि उन्होंने दिन भर काम किया और उन्हें एक घंटा काम किए मजदूरों के बराबर ही वेतन मिला। तुलना करना मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। जो मजदूर पहले काम करने आए थे वे घृणा एवं ईर्ष्या से भर गए थे। गरीबों एवं पापियों के प्रति ईश्वर की दयालुता हमारे मन में भी एक गलतफहमी उत्पन्न करती है जो ईर्ष्या, जलन एवं घृणा के मुख्य कारणों से है। यहां हम देखते हैं कि उस भूमिधर ने किसी के साथ अन्याय नहीं किया क्योंकि भूमिधर ने काम करने से पहले ही उन मजदूरों से एक दिनार का रोजाना तय कर लिया था। हमारा ईश्वर किसी के साथ कोई अन्याय नहीं करता। वह हर एक को समान रूप से प्यार करता है। उसके लिए हम सब एक जैसे हैं।

इस दृष्टांत में हम भूमिधर की उदारता के बारे में पढ़ते हैं। वह उन मजदूरों से कहता है तुम मेरी उदारता पर क्यों जलते हो? भूमिधर इतना उदार था कि उसने किसी भी पहर में, जो भी उसे मिले, उन्हें काम पर लगा लिया। इससे भी ज्यादा उदारता की बात यह है कि उसने अलग-अलग समय पर आए हुए मजदूरों को एक समान वेतन दिया। अगर आज के इस जीवन में हम देखें तो ऐसा कोई भी नहीं करता। हर एक को अपने काम के अनुसार वेतन दिया जाता है।

जिस तरह हम कुरिन्थियो के नाम संत पौलुस के दूसरे पत्र अध्याय 9 वचन संख्या 9 में पढ़ते हैं- “उसने उदारता पूर्वक दरिद्रों को दान दिया है, उसकी धार्मिकता सदा बनी रहती है। हमारा ईश्वर उदार है। वह हमें बहुत अधिक प्यार करता है। हम उससे जो कुछ भी मांगते हैं, वह हमें जरूरत से ज्यादा दे देते हैं। हम पहले पाठ में सुनते हैं, “पापी अपना मार्ग छोड़ दे और दुष्ट अपने बुरे विचार त्याग दे। और प्रभु के पास लौट आए और प्रभु उस पर दया करेगा।“ क्योंकि हमारा ईश्वर दयासागर है।

ख्रीस्त में प्यारे भाइयों और बहनों। हम सब अपने बुरे विचार, पापमय जीवन, अपनी कमजोरीयों, अपनी बीमारियों को प्रभु के हाथों में समर्पित कर दें और प्रभु की ओर लौट जायें। प्रभु ईश्वर हम पर दया करेगा क्योंकि वह दया का सागर है।