इसायाह 49: 3, 5-6, 1 कुरिन्थियों 1:1-3; योहन 1:29-34
ईश्वर ने हमसे इतना प्यार किया कि अपने पुत्र को इस सेसार में भेजा। नबी इसायाह का ग्रंथ 49:3 यह कहता है, “तुम मेरे सेवक हो; मैं तुम में मेरी महिमा प्रकट करूँगा”। ईश्वर ने इस संसार में सर्व चराचर की सृष्टि की और इंसान को अपने प्रतिरूप बनाया। हर एक इंसान ईश्वर की देन है और हर एक के जीवन में वह उपस्थित हैं। परंतु हम कई बार उस ईश्वर की उपस्थिति को नहीं देख पाते और पाप करते हैं जिससे हमारा हृदय उस प्रभु की उपस्थिति का एहसास नहीं कर पाता है। फिर भी उसका कार्य हमारे जीवन में बना रहता है। वह प्रकट होना चाहता है जिसे हम नहीं पहचान पाते हैं। हम प्रभु को ठुकराते रहते हैं। संत पौलुस कुरिन्थियों के नाम पहले पत्र 1:2 में कहते हैं, “आप लोग ईसा मसीह द्वारा पवित्र किये गये हैं और संत बनने के लिये बुलाये गये हैं। हर दिन प्रभु हमें अपनी ओर आकर्षित करता रहता है, ताकि हम प्रभु की उपस्थिति को पहचान सकें और जीवन में प्रभु के कार्य को आगे बढ़ा सकें।
पवित्र बाईबल यह कहती है कि येसु इस संसार में सभी को बचाने और पाप से मुक्त करने आया था। कभी-कभी हमें ईश्वर को पहचानने के लिये किसी व्यक्ति के मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। संत योहन बपतिस्ता अपने शिश्यों को येसु को पहचानने में मदद करता है। वह प्रभु येसु की ओर ईशारा करते हुए कहता है देखो “ईश्वर का मेमना जो संसार के पाप हर लेता है”। योहन तो प्रभु का मार्ग तैयार करने इस संसार में आया था और वह ईश्वर का कायै पूर्ण तन-मन से पूरा करता है। वह ईश्वर के पुत्र के आने का साक्ष्य देता है। मेमने का कार्य है पाप से मुक्ति देना और येसु वही मेमना है जो पाप से मुक्ति देता है।
पुराने विधान में हम इस दुनिया में मसीह के आगमन के विषय में कई सारी भविश्यवाणीयाँ पाते हैं। जब हम प्रभु येसु को ईश्वर का मेमना कहते हैं तब पवित्र ग्रंथ के चार बातों पर हमारा ध्यान आकर्षित किया जाता है।
सर्वप्रथम इबगाहीम से प्रभु ने उसके इकलौते पुत्र की बलि माँगी और इब्राहीम बिना झिझक तैयार हो जाता है। परंतु सही समय प्रभु मेमने का इंतजाम बलिवेदी पर करता है (उत्पत्ती 22: 8)। इब्राहीम ने अपने बेटे से उसके प्रश्न के जवाब में कहा था कि ईश्वर बलिदान के मेमने का इंतजाम करेगा। वास्तव में यह मसीह के विषय में एक भविश्यवाणी भी थी। यह भविश्यवाणी प्रभु येसु में पूरी होती है। प्रभु येसु ईश्वर का दिया हुआ बलि का मेमना है। इसलिए संत योहन बपतिस्ता प्रभु येसु की ओर इशारा करते हुए कहता है ‘‘देखिये ईश्वर का मेमना।’’
अब हम हमारे ध्यान को आकर्षित करने वाली दूसरी बात पर आते हैं। निर्गमन ग्रंथ 29:39-42 के वचनों में हम देखते हैं कि प्रभु इस्राएलियों को रोज सुबह और शाम एक-एक मेमना पीढ़ी दर पीढ़ी होम बलि के रूप में चढ़ाने की आज्ञा दी थी। ये जो मेमना चढ़ाया जाता है प्रभु येसु का ही प्रतीक है, आज दुनिया भर की बलिवेदियों में नित्य प्रतिदिन पीढ़ी दर पीढ़ी बलिदान में वे चढ़ाये जाते हैं।
तीसरी बात हम लेवी ग्रंथ में पाते हैं। लेवी 16: 21-22 में पवित्र वचन कहता है ‘‘हारून अपने दोनो हाथ उस जीवित बकरे के सिर पर रख कर, इस्राएलियों के सारे कुकर्मों और सब प्रकार के अपराधों को स्वीकार कर, उन्हें उसके सिर पर डाल दे और फिर पहले से निर्धारित व्यक्ति के द्वारा उसे रेगिस्तान में पहुँचा दे। इस प्रकार वह बकरा लोगों के सब अपराधों को निर्जन स्थान में ले जायेगा और वह वहाँ छोड़ दिया जायेगा।” प्रभु येसु इस प्रकार हमारे पापों को हरने वाला बलित मेमना है।
चौथी बात पर अगर हम नज़र डालते हैं तो हमें ज्ञात होता है, कि निर्गमन ग्रंथ 12 में प्रभु ईश्वर मूसा के द्वारा इस्राएलियों से कहता है कि वर्ष के आदी मांस के दसवें दिन निर्दोष मेमने का वध कर उसके लहू दरवाजे की चौखट पर पोत दे। मिश्र देश का परिभ्रमण करते समय प्रभु ईश्वर वह लहु देखकर इस्राएलियों को बचायेगा। यह भी प्रभु येसु का ही संकेत है। जब संत योन बपतिस्ता येसु का परिचय देता है त वह इन सब बातों को, इन चारो बातों को मन में रखकर ही बात करता होगा।
इसायाह 53: 5 हमारे पापों के कारण वह छेदित किया गया है। हमारे कुकर्मों के कारण वह कुचल दिया गया है। जो दण्ड वह भोगता था उसके द्वारा हमें शांति मिली है और उसके घावों द्वारा हम भले चंगे हो गये है। यह सब हमारे पापों के कारण ईश्वर के मेमने प्रभु येसु ख्रीस्त ने हमारे लिये सहा और वह इस संसार में मेमने की तरह शांत तथा आज्ञाकारी रहा ताकि उसकी प्रजा की मुक्ति हो।
संत योहन चाहता था कि उसके शिष्य येसु को भली भाँति पहचान कर उनके शिश्य बनें। हम भी जो येसु में विश्वास करते हैं या येसु में विश्वास करने का दावा करते हैं, उन्हें पहचान लें और उनके सच्चे शिष्य बनें। आईए हम उस प्रभु के व्यक्तित्व तथा स्वाभाव पर मनन चिंतन करके उनमें हमारे लिये अपने आपको क्रूस पर चढ़ाने वाल बलित मेमना पहचान लें तथा उनकी आराधना करें। आमेन