anil_hembrom

चक्र- स – खीस्त राजा का महापर्व

2 समुएल 5:1-3; कलोसियो 1:12-20; संत लूकस 23:35-43

ब्रदर अनिल हेम्ब्रम (मुजफ्फरपुर धर्मप्रांत)


ख्रीस्त में मेरे प्यारे भाईयों और बहनों, हमने कई राजाओं के बारे में पढ़े और सुने होंगे, और आज का पहला पाठ और सुसमाचार में भी राजा के बारे में जिक्र है। तो आइए, हम बाइबल के वचनों पर मनन-चिंतन करते हुए प्रभु येसु महान राजा के बारे में कुछ जानें और उनकी जय जयकार करें।

संसार में जैसे-जैसे कुकर्म बढ़ता जा रहा था हमारे पिता ईश्वर के मन में एक योजना चल रही थी, कि मानव जाति के लिए एक राजकुमार हो जो सबको पापों की गुलामी से बचा सके, और ऐसा हुआ, कि वह अपने एकलौते पुत्र को इस पापमय धरती पर मानव रूप देकर ले आया। जैसे कि संत मत्ती के सुसमाचार 2:6 में लिखा है, ‘‘बेतलेहेम यूदा की भूमि तू यूदा के प्रमुख नगरों में किसी से कम नहीं है; क्योंकि तुझमें एक नेता उत्पन्न होगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल का चरवाहा बनेगा।’’

हम संत लूकस के सुसमाचार 1:31-33 में हम पढ़ते हैं, जब स्वर्गदूत गब्रिएल कुँवारी मरियम को संदेश देते हैं, तब इस प्रकार स्वर्गदूत मरियम से कहते हैं, ‘‘देखिए, आप गर्भवती होंगी, पुत्र प्रसव करेंगी और उनका नाम ईसा रखेंगी। वें महान होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलायेंगे। प्रभु ईश्वर उनके पिता दाऊद का सिंहासन प्रदान करेगा, वे याकूब के घराने पर सदा-सर्वदा राज्य करेंगे और उनके राज्य का अंत नहीं होगा।’’

प्रभु येसु ही ऐसे राजा हैं जिनके जन्म से पहले ही नबियों ने भविष्यवाणी की, कि एक नेता उत्पन्न होगा। जन्म से पहले ही मरियम को स्वर्गदूत ने बता दिया, कि वह जिसको जन्म देगी, वे महान होंगे, उन्हें दाऊद का सिंहासन प्रदान किया जाएगा, वे सदा-सर्वदा राज्य करेंगे और उनके राज्य का अंत नहीं होगा।

प्रभु येसु का जन्म होते ही ज्योतिषियों से लेकर चरवाहों को पता चल गया कि एक महान राजा का जन्म हुआ है। ज्योतिषियों और चरवाहों को जैसे ही पता चला, वे तुरंत प्रभु येसु महान राजा को दण्डवत करने निकल पड़े।

संत मत्ती के सुसमाचार 2:2 में ज्योतिषी कहते हैं, “यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं? हमने उनका तारा उदित होते देखा। हम उन्हें दण्डवत करने आये हैं।” वचन आगे कहता है, ‘‘यह सुन कर राजा हेरोद और सारा येरूसालेम घबरा गया।’’ हम अपने सीमित दिमाग से, प्रभु येसु महान राजा के बारे में जितना भी सोचे वह कम ही होगा।

हम संत योहन के सुसमाचार 18:28-40 में पढ़ सकते हैं, जब प्रभु येसु को पिलातुस के सामने लाया गया, तब पिलातुस प्रभु येसु से पूछताछ करते हैं। अंत में प्रभु येसु बोलते हैं, ‘‘आप ठीक ही कहते हैं। मैं राजा हूँ। मैं इसलिए जन्मा और इसलिए संसार में आया हूँ कि सत्य के विषय में साक्ष्य दूँ। जो सत्य के पक्ष में है वह मेरी सुनता है।’’ प्रभु येसु स्वयं स्वीकर करते हैं कि वे राजा हैं और ऐसे राजा जो सत्य के विषय में साक्ष्य दें।

संत योहन के सुसमाचार 19:17-22 में हम पढ़ सकते हैं, जब येसु को क्रूस पर लटकाया गया तो उसके ऊपर पिलातुस ने इस प्रकार लिखकर लगवाया, ‘‘ईसा नाजरी, यहूदियों का राजा’। यह इब्रानी, लातीनी और यूनानी भाषा में लिखा हुआ था। ताकि लोगों को पता चले की प्रभु येसु राजा हैं।

संत लूकस के सुसमाचार 19:36-40 में लिखा है, ज्यों-ज्यों ईसा येरूसालेम की ओर आगे बढ़ते जा रहे थे, लोग रास्ते पर अपने कपडे़ बिछाते जा रहे थे। जब वे जैतून पहाड़ की ढाल पर पहुँचे, तो पूरा शिष्य-समुदाय आनंदविभोर हो कर आँखों देखे सब चमत्कारों के लिए ऊँचे स्वर से इस प्रकार ईश्वर की स्तुति करने लगे- धन्य हैं वह राजा, जो प्रभु के नाम पर आते हैं! स्वर्ग में शान्ति! सर्वोच्च स्वर्ग में महिमा! भीड़ में कुछ फरीसी थे। उन्होंने येसु से कहा, ‘‘गुरूवर अपने शिष्यों को डाँटिए’’। परंतु येसु ने उत्तर दिया, ‘‘मैं तुम से कहता हूँ, यदि वे चुप रहें, तो पत्थर ही बोल उठेंगे’’। इन्हीं बातों से हम समझ सकते हैं कि प्रभु येसु कैसे राजा हैं। पिता ने हमें साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि प्रभुओं के प्रभु और राजाओं के राजा दिये हैं।

प्रभु येसु महान राजा, हमारे देश-दुनिया पर शासन करने के लिए नहीं बल्कि हमारे पापमय जीवन को बदलने और हमें जीवन के सत्य मार्ग पर लाने के लिए आये हैं। प्रभु येसु हमारे दिलों में राज करने वाले महान नेता हैं, राजा हैं। सचमुच प्रभु येसु एक अनोखा राजा हैं। जो पापियों को अपना मित्र बनाते हैं, रोगियों को चंगा करते हैं, मृतकों को जिलाते हैं, अपने शत्रुओं से प्रेम करते हैं और अपने लोगों की भलाई के लिए अपना बलिदान कर देते हैं। इससे बढ़ कर और क्या प्रेम हो सकता है?

अब हमारे दिल को जाँचने की आवश्यकता है कि हमने किसको अपने दिल का राजकुमार बनाया है, हम पर किसका शासन चलता है? यदि हमने प्रभु येसु को अपनाया है और उसके बताये राहों पर चलते हैं, तो हम ‘‘सब कुछ आनंद के साथ सह सकेंगे।’’ जैसे कि कलोसियों के नाम संत पौलुस के पत्र में वचन कहता है।

आइये हम प्रभु येसु से प्रार्थना करें कि प्रभु हमें भी अपनी राहों पर चलने के लिए सक्षम एवं योग्य बनाये, ताकि हम प्रभु येसु महान राजा का जय जयकार अपने जीवन काल में करते रहें। आमेन।