Albin_Lukose

चक्र- स – प्रभु येसु का बपतिस्मा

इसायाह 40:1-5,9-11; तीतुस 2:11-14,3: 4-7; लुकस 3:15-16, 21-22

ब्रदर अल्बिन लूकोस (खंडवा धर्मप्रान्त)


ख्रिस्त में प्रिय भाइयों एवं बहनों।

आज माता कलीसिया प्रभु येसु के बपतिस्मा का पर्व मानती है। हम सब इस से परिचित हैं कि प्रभु येसु ने अपने सार्वजनिक जीवन और मिशन कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व पापक्षमा के लिए पश्चाताप के बपतिस्मा का उपदेश देने वाले योहन बपतिस्ता से बपतिस्मा ग्रहण किया था। प्रभु येसु के बपतिस्मा ग्रहण करने के आनन्तर स्वर्ग खुल गया और पवित्र आत्मा कपोत के रूप में उन पर उतरा। तत्पश्चात स्वर्ग से यह वाणी सुनाई पड़ी, “तू मेरा प्रिय पुत्र है। में तुझ पर अत्यन्त प्रसन्न हुं“। (लुकास 3:22) इससे प्रभु का ईश्वरीय पुत्रत्व सार्वजनिक रूप में प्रकट किया गया। पवित्र आत्मा के इस विशेष अनुभव के साथ-साथ प्रभु ने अपना मानव-मुक्ति कार्य को आरंभ किया।

विश्वसियो ! प्रभु येसु के सांसारिक जीवन की इस घटना या अनुभव से हमें अनेक चीज़ें सीखने को मिलती हैं। इस विषय में मैं आपके साथ तीन मुख्य बिंदुओं पर मनन-चिंतन करना चाहता हूँ।

पहला- : बपतिस्मा शुद्धिकरण एवं नवीनीकरण का चिन्ह है।

दूसरा : बपतिस्मा घोषणा करने के लिए बुलावा है।

तीसरा : बपतिस्मा धार्मिक जीवन का आमंत्रण है।

पहला : बपतिस्मा शुद्धिकरण एवं नवीनीकरण का चिन्ह है।

मारकूस 1:4 में हम पढ़ते हैं, “योहन बपतिस्ता निर्जन प्रदेश में प्रकट हुआ जो पाप क्षमा के लिए पश्चात्ताप के बपतिस्मा का उपदेश देता था।“ योहन ने पश्चात्ताप की घोषणा कि थी। लोग भी बड़ी संख्या में उनके उपदेश सुनने तथा बपतिस्मा ग्रहन करने के लिए उनके पास आया करते थे, क्योंकि वे अपने में नया परिवर्तन महसूस किया करते थे। सच्चा पश्चताप का प्रभाव मन परिवर्तन और जीवन का नवीनीकरण है।

योहन ने जल से बपतिस्मा देने के साथ-साथ लोगों से यह भी कहा , “मैं तो तुम लोगों को जल से बपतिस्मा देता हूं परंन्तु एक आने वाला है जो मुझ से भी अधिक शक्तिशालि है। में उनके जूते का फीता खोलना भी योग्य नहीं हूँ।” “वह तुम लोगों को पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देंगे।” (लूकस 3:16) प्रभु की इच्छा यह है कि हम सब मुक्ति पा सकें। हर एक विश्वासी यह असली बपतिस्मा ग्रहण करने के लिए बुलाये गए हैं।

हमारे दैनिक जीवन में आग और पवित्र आत्मा - ये दोनों तत्वों का महत्वपूर्ण भूमिका है। आग का गुण गर्मि होता है। किसी भी कीमती वस्तु की परीक्षा आग में की जाती है। उदाहरण के लिए सोने का शुद्धिकरण आग में ही किया जाता है। आग अशुद्धता को मिटाता है, गंदगी को दूर कर देता है। इसी तरह आग से बपतिस्मा देने का अर्थ यह है कि हम भी अपने पुराने स्वभाव को त्याग कर नई सृष्टि बन जाएंगे। दूसरी तरफ हम देखते हैं कि पवित्र आत्मा का गुण शीतलता है जो कि हमें सांत्वना देता है, कोमल बनता है, शांति का मनोभाव देता है और भला-बुरा समझने की शक्ति देता है। इससे हमें यह प्रेरणा मिलती है कि प्रभु येसु में हमारा बपतिस्मा हमें धार्मिकता के आग द्वारा शुद्ध करता और पवित्र आत्मा के सामर्थ्य से हमारे जीवन को नवीन करता है।

दूसरा : बपतिस्मा घोषणा करने के लिए बुलावा है।

हर विश्वासी का बपतिस्मा पवित्र आत्मा का विशिष्ट अनुभव है। जो भी व्यक्ति पवित्र आत्मा में पोषित किया गया है वह मुक्ति संबंध कार्य की घोषणा के लिए बुलाया गया है। आज का पहला पाठ हमें बताता है, “निडर होकर युदा के नगरों से पुकार कर यह कहो : ‘यही तुम्हारा ईश्वर है; देखो प्रभु ईश्वर सामर्थ्य के साथ आ रहा है। वह सब कुछ अपना अधीन कर लेगा। (इसायाह 40:9-10) यह वास्तव में प्रभु की दयलुता और महानता की घोषणा करने का बुलावा है। संत योहन बपतिस्ता ने भी यही किया था जैसे कि उनके बारे में सदियों पहले ही भविष्यवाणी की गई थी। प्रभु येसु ने भी पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होने के बाद ही ईश- राज्य की घोषणा की शुरुआत की थी। हमारा ख्रीस्तिय जीवन भी बपतिस्मा में पवित्र आत्मा ग्रहण करने में ही प्रारंभ होता है। यह प्रभु के मिशन कार्य में हमारे कर्तव्य तथा भूमिका को दर्शाता है। यही अनुभव हमें ईश्वर की महानता और दयालुता की घोषणा हमारे सोच - विचार, शब्द और कर्मों द्वारा करने के लिए आमंत्रित करता है।

तीसरा : बपतिस्मा धार्मिक जीवन का आमंत्रण है।

पवित्र कलीसिया के शिक्षानुसार सभी विश्वासी गण पवित्र जीवन जीने के लिए बुलाए गए हैं। पवित्रता और धार्मिकता- दोनों एक साथ चलती हैं। बपतिस्मा के दौरान हम शुद्ध किया जाते हैं और पवित्र आत्मा का वरदान पाते हैं। वही पवित्रता हमें धार्मिकता की ओर आकर्षित करता है। संत पौलुस हमें धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहते हैं,"आधार्मिकता तथा विषयवासना त्याग कर हम इस पृथ्वी पर संयम न्याय तथा भक्ति का जीवन बितये।"(तीतूस 2:12)

मगर धार्मिकता का जीवन प्रभु पर आधारित है। प्रभु की कृपा ही हमें ईमानदार जीवन जीने एवं आनंन्त जीवन पाने के योग्य बनाती है जिसका माध्यम बपतिस्मा है।

प्रिय मित्रों! आज के संदर्भ में हमें प्रभु पर आधारित रहना तथा पवित्र आत्मा को दिल की गहराई में अनुभव करना आवश्यक है। आइये हम प्रभु से यही कृपा मांगे कि हम अपना ख्रिस्तिय बुलाहट के योग्य जीवन बिता पाये और अपना जीवन द्वारा ईश्वर की महानता की घोषणा कर सके।