Albin_Lukose

चक्र- स – सामान्य काल का इकतीसवाँ इतवार

प्रज्ञा 11:22-12:2; 2 थेसलनीकियों 1:11-2:2; लूकस 19:1-10

ब्रदर अल्बिन लूकोस (खंडवा धर्मप्रान्त)


इस संसार में कद का छोटा होना विभिन्न अर्थ प्रस्तुत करता है। पुराने व्यवस्थान, हबाक्कुक 1:1-4 छोटा होना एक तरह की निर्धनता, असहाय होने को दर्शाता है। स्तोत्र ग्रंथ 119:141 में यह दीन-हीनता तथा तिरस्कृत होने को दर्शाता है। आज के सुसमाचार में भी एक छोटे कद वाले व्यक्ति की चर्चा की गई है। हालांकि यह उसके शारीरिक ऊँचाई की ओर इशारा करता प्रतीत होता है पर वास्तव में यह उसी आध्यात्मिक स्थिति को दर्शाता है, जो उसे जीवन के हर क्षण में प्रभावित करती है। ज़केयुस एक प्रमुख और धनी नाकेदार होते हुए भी समाज से तिरस्कृत है, समाज में उसकी कोई मान्यता ही नहीं है। वह तो रोमन साम्राज्य में ही सराहा जाता है क्योंकि वह अपने ही लोगों पर नजर लगाये रखता है और इस कारण से वह घृणित और तुच्छ दृष्टि से देखा जाता है। इस तरह अपना सब कुछ होते हुए भी वह अकेला है और वह अपनी ही नजर में छोटा हो जाता है। ज़केयुस के मन में तीव्र इच्छा थी कि वह एक बार प्रभु येसु को देख सके। पर छोटा होने के कारण और भीड़ बड़ी होने की वजह से उसके लिए वह असंभव था।

प्यारे भाईयो और बहनों ज़केयुस के लिए लोगों की भीड एक बाधा बन गया था। प्रभु येसु से मिलने के लिए। आज कल की जिंदगी में हम देख सकते हैं कि एक व्यक्ति रोज चर्च में जाता और सब नशे से छुटकारा पाकर ईश्वर के चरण में अपना जीवन स्वयं अर्पित करके अच्छा जीवन जीता है। लोग कहते हैं वह पापमय जीवन को छोड़कर ईश्वर की राह पर चल रहा है। ये शब्द ही इस इन्सान के पापमय जीवन को भूल कर ईश्वर के दिखाए हुए रास्ते पर चलने के लिये काफी है।

हम अपने जीवन में एक बार जांच कर के देखें कि ईश्वर से मिलने केलिए क्या रुकावट है। हमारे जीवन में रुकावट कई प्रकार की हो सकती हैं जैसे एक दूसरे के प्रति शत्रुता का बंधन, कुछ दर्द और चोट का बंधन हो। जब हम प्रार्थना द्वारा इन सब से बचने में सक्षम होते हैं, तो हम येसु से मिल सकते हैं।

ईश्वर से मुलाकात होने के बाद ज़केयुस की जिन्दगी पूरी बदल जाती है। वह कहता है, “मैं अपनी आधी सम्पत्ति गरीबों को दूंगा और मैंने जिन लोगों के साथ किसी बात में बेइमानी की है, उन्हें उसका चौगुना लौटा दूंगा। येसु ने उस से कहा, "आज इस घर में मुक्ति का आगमन हुआ है, क्योंकि यह भी इब्राहीम का बेटा है।”

आज का सुसमाचार दो प्रशन हमारे सामने रखता है। पहला, जो भी रुकावट हमें ईश्वर से मिलने केलिए अपने जीवन में है उसे हमें कैसे पार करना होगा। और दूसरा है, हमें अपने पापों के लिए पश्चाताप कर के ईश्वर से क्षमा मांगना चाहिए।

बहुत बार अपनी करनी या व्यवहार और अपनी आध्यात्मिकता के कारण हम भी नाकेदार, छोटे कद वाले ज़केयुस की तरह छोटे हो जाते हैं, हम अपने आप को छोटे या तुच्छ समझने लगते हैं तथा अपनी अज्ञानता को छिपाने का प्रयास करते हैं। पर येसु हमें हमारी परिस्थिति में ही हमें स्वीकारने को तैयार है, यदि हम अपनी इस अज्ञानता जैसे छोटेपन के बावजूद भय जैसे भीड़ से आगे बढ़कर येसु को जानने का प्रयास करें।