निर्गमन ग्रंथ 32:7-11,13-14, 1तिमथी 1:12-17, संत लूकस 15:1-32
प्रभु येसु ख्रीस्त में मेरे प्यारे भाईयों और बहनों, आज के तीनों पाठों में बताया गया है, कि इस्राएलियों ने धातु का बछड़ा बनाया और उसकी पूजा की और पाप कर बैठे थे। परंतु मूसा की मध्यस्थता द्वारा लोगों ने पश्चाताप किया। इस वजह से ईश्वर ने उन्हें माफ किया। निर्गमन ग्रंथ 32:14 यह कहता है, ”तब प्रभु ने प्रजा को दण्ड देने की जो धमकी दी थी, उसका विचार छोड़ दिया।“ दूसरे पाठ में संत पौलुस तिमथी के पहले पत्र में कहते हैं कि मैं प्रभु की दया की वजह से जीवंत ईश्वर को पहचान सका और अत्याचारी से सदाचारी बन गया। 1तिमथी 1:15 यह कहता है, “यह कथन सुनिश्चित और नितान्त विश्वसनीय है कि ईसा मसीह पापियों को बचाने के लिए संसार में आए, और उन में सर्व प्रथम मैं हूँ।”
आगे हम देखते हैं कि सुसमाचार हमें तीन दृष्टान्तों का विवरण देता है। इसका मतलब यह है कि जो पश्चाताप करता है उस के लिए स्वर्ग में आनंद मनाया जाता है। ऊड़ाव पुत्र ने अपनी सारी संपत्ती पापमय कार्यों में उड़ा दी, अन्त में वह पूरी तरह बहुत ही बुरी हालत में फंस गया। उसके पास ना पैसा था ना भोजन और वह भूख की वजह से पीड़ा में था। यह सब उसके बुरे व्यवहार की वजह से हुआ। इस दुनिया में गरीबों के साथ रिश्ता जोड़ने वाले कम होते हैं। क्योंकि उससे कुछ प्राप्त करने की आशा नहीं रहती है। जो अपने है वे भी पराये बन जाते हैं। जिसके पास पैसा या धन है, वह ऊँचा उठाया जाता है। जब उडाऊ पुत्र के पास धन था तो सब उसके पास आते थे। जब सब कुछ खत्म हुआ, सब छोड़ कर चले गए। जब वह तकलीफ़ और पीड़ा में था उसे अपने पिता की याद आयी। संत लूकस 15:17 यह कहता है, “मेरे पिता के घर में कितने ही मजदूर हैं और उन्हें ज़रूरत से ज्यादा रोटी मिलती है और मैं यहाँ भूखों मर रहा हूँ।” आखिरी में वह सब कुछ को भूलकर पिता के पास जाने के लिए अपना मन बना लेता है। वह अपने आप को ईतना विनम्र बना लेता है, कि अपने पिता के घर पर एक नौकर के समान भी रहने के लिए तैयार हो जाता है। अपने जीवन के ऊपर वह मनन-चिंतन करता है तथा अपनी अन्तर आत्मा को वह जगाता है। उसने अपने जीवन में जो बुरे कार्य किये थे उसे वह फिर से न दोहराने का संकल्प करता है। इस तरह से वह निकल पड़ता है। यह हम देखते हैं कि वह अपने जीवन के ऊपर मनन चिन्तन करता है और अपने आप को योग्य बनाकर पिता के घर की ओर निकल जाता है।
सूक्ति ग्रंथ 24:16 में पवित्र वचन कहता है, ”धर्मी भले ही सात बार गिरे; वह फिर उठेगा, जब दुष्ट विपत्ति में नष्ट हो जाते हैं”। हम कई बार पाप करते हैं, लेकिन पश्चाताप करके हम प्रभु के पास लौट कर पुनः उसके संगति में रह सकते हैं। पवित्र बाईबल में हम देखते हैं कि संत पेत्रुस तीन बार प्रभु येसु का अस्वीकार करते हैं, परंतु वह पश्चाताप करके वापस प्रभु के पास लौटते हैं। लेकिन यूदस विश्वासघात करने के बाद उसी पाप में डूबा रहता है। वह निराश हो कर आत्महत्या कर लेता है। प्रभु चाहता है कि हर एक को अपने पापमय जीवन को छोड़कर नये विचार और जीवन को अपनाने कि ज़रूरत है। पश्चताप ही सही मार्ग है जो ईश्वर की ओर ले जाता और प्रभु के निकट लाता है। हम देखते हैं कि ऊड़ाऊ पुत्र जब पिता के साथ था वह बहुत ही खुश था। जब वह अपने पिता का घर छोड़ कर इस रंग-बिरंगी दुनिया के पीछे जाने लगता है तो वह अपने पिता के सानिध्य को खो देता है और पुरी तरह से मुरझा जाता है। यह सब हम हमारे जीवन में भी करते हैं और जब गलती कर बैठते हैं तो हमें अपने पिता ईश्वर की याद आती है। पीछे मुड़कर अपने पिता के घर वापस आने की कोशिश करते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि जब हम गलती करते हैं तो ईश्वर की आशिष को खो देते हैं और शैतान के फंदे में फंस जाते हैं। हमारा यह कर्तव्य है कि प्रभु की दया और असीम प्रेम में जीते रहें ताकि ऊड़ाऊ पुत्र की तरह हम गलती ना कर बैठें।
इस दुनिया में जब कोई अपने पापों और कुकर्मों पर पश्चाताप करता और पाप से मुँह मोड़ लेता है तो स्वर्ग में आनंद मनाया जाता है। तब हमें यह सोचने की ज़रूरत है कि हम गलती ही ना करें, पाप को ना अपनायें और प्रभु के साथ जुड़े रहें तो स्वर्ग में अत्यधिक आनंद मनाया जाएगा। आमेन।