इसायाह 9: 1-6; तीतुस 2: 11-14; लूकस 2: 1-14
ख्रीस्त में मेरे प्रिय भाईयों और बहनों,
हम देखते हैं कि किसी बच्चे का जन्म हमारे लिए खुशी एंव आनंद का समय होता है। इस खुशी के समाचार को हम शीघ्र ही अपने मित्रों, रिश्तेदारों एंव पड़ोसियों तक पहुँचाते हैं। अगर किसी बच्चे का जन्म लम्बे समय के इंतजार के बाद होता है, तो हमें अत्यंत खुशी होती है, और उसके बारे में हम दूसरों को बड़े उत्साह और आनंद से बताते है।
आज के पहले पाठ में नबी इसायाह हमें बताते हैं कि अंधकार में भटकने वालों ने एक महत्ती ज्योति देखी है अंधकारमय प्रदेश में रहने वालों पर ज्योति का उदय हुआ है। ईश्वर ज्योति है और ज्योति का स्रोत भी। उत्पति ग्रंथ 1:3 में हम पढ़ते हैं कि ईश्वर ने कहा “प्रकाश हो जोये”, और प्रकाश हो गया। निर्गमन ग्रंथ के अध्याय 3 में हम देखते हैं, उजाड़ प्रदेश में झाड़ी के बीच में से निकलती हुई आग की लपेट के रूप में प्रभु ईश्वर मूसा को दर्शन देते हैं। निर्गमन ग्रंथ में हम ये भी देखते हैं कि दिन में बादल के रूप में और रात को आग के स्थम्भ के रूप में ईश्वर इस्राएलियों के साथ चलकर उन्हें राह दिखाते थे। वही ईश्वर, जो महत्ती ज्योति है और महान ज्योति है, मनुष्य बनकर बेथलेहेम के गोशाले में जन्म लेते हैं। यही ईश्वर का पुत्र प्रभु येसु है। योहन के सुसमाचार 8:12 में प्रभु येसु कहते हैं, संसार की ज्योति मैं हूँ। योहन के सुसमाचार 1:9 में प्रभु येसु के बारे में कहा गया है ‘‘शब्द वह सच्ची ज्योति था, जो प्रत्येक मनुष्य का अंधकार दूर करती है’’।
आज हमारे सामने चरनी में लेटा हुआ यह बालक मेरे और आपके जीवन के अंधकार को दूर कर सकता है। सवाल यह है क्या मैं इस ज्योति को मेरे हृदय में, मेरे दैनिक कार्यों में और मेरे परिवार में प्रवेश करने दूँगा या नही? कभी कभी हम अंधकार में ही रहना चाहते हैं क्योंकि अंधकार में हमारी बुराईयों को हम छिपा सकते है। संत योहन कहते है ‘‘दण्डाज्ञा का कारण यह है कि ज्योति संसार में आयी है और मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अंधकार को अधिक पसंद किया, क्योंकि उनके कर्म बुरे थे। जो बुराई करता है, वह ज्योति से बैर करता है और ज्योति के पास इसलिए नहीं आता कि कहीं उसके कर्म प्रकट न हो जाये। (योहन 3:19-20)
रोमियों को लिखते हुए संत पौलुस कहते हैं 13:12 में, “रात प्रायः बीत चुकी है, दिन निकलने को है, इसलिए हम अंधकार के कर्मों को त्याग कर ज्योति के शस्त्र धारण कर लें।“ ऐफिसियों को लिखते हुए वे कहते हैं (5:11) “लोग जो व्यर्थ के काम अंधकार में करते हैं, उन से आप दूर रहें और उनकी बुराई प्रकट करें”। संत योहन अपने पहले पत्र 2:9-11 तक के वचनों में कहते हैं, “जो कहता है कि मैं ज्योति में हूँ और अपने भाई से बैर करता है, वह अब तक अंधकार में है। जो अपने भाई को प्यार करता है, वह ज्योति में निवास करता है और कोई कारण नहीं कि उसे ठोकर लगे। परन्तु जो अपने भाई से बैर करता है, वह अंधकार में है और अंधकार में चलता है। वह यह नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है, क्योंकि अंधकार ने उसे अंधा बना दिया है।“
इस प्रकार क्रिसमस का संदेश ज्योति का संदेश है प्रभु येसु ख्रीस्त ज्योति है। संत मत्ती के सुसमाचार 5:14-16 में वे हमसे कहते है। “तुम संसार की ज्योति हो, पहाड़ पर बसा हुआ नगर छिप नहीं सकता। लोग दीपक जला कर पैमाने के नीचे नहीं, बल्कि दीवट पर रखते है, जहाँ से वह घर के सब लोगों को प्रकाश देता है। उसी प्रकार तुम्हारी ज्योति मनुष्यों के सामने चमकती रहे, जिससे वे तुम्हारे भले कार्यों को देखकर तुम्हारे स्वर्गिक पिता की महिमा करे।” आज के दिन प्रभु हमें यह संदेश देते है कि ईश्वर की ज्योति इस नन्हें बालक के रूप में हमारे बीच में आई है। इस ज्योति को ग्रहण कर हम भी इस संसार की ज्योति बनें और ईश्वर की महिमा का बखान करें। आज की पूजन-विधि हम सब को यह प्रेरणा और कृपा दे।
आप सभी को ख्रीस्त जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।