xavier_khadia

चक्र- अ – ख्रीस्त जयंती महापर्व (दिन)

इसायाह 62:11-12; तितुस 3:4-7; लूकस 2:15-20

ब्रदर जेवियर खड़िया (झाबुआ धर्मप्रान्त)


ख्रीस्त में आदरणीय माता-पिताओ, भाईयो-बहनो एंव मेरे प्यारे बच्चों,

आज हम बडे हर्ष्षोल्लास के साथ ख्रीस्त जयंती यानी प्रभु येसु ख्रीस्त, हमारे मुक्तिदाता का जन्मोत्सव मना रहें हैं। हम बेसब्री से हमारे मुक्तिदाता का इन्तजार करते आ रहे थे। हम अपने आप को भौतिक एवं आध्यात्मिक रूप से तैयार करते हुए इस पावन अवसर की राह देख रहे थे।

नबी इसायाह, 62:11 में सियोन की पुत्री और समस्त पृथ्वी के लिए ईश्वर का यह सन्देश सुनाते हुए कहतें हैं “देख! तेरे मुक्तिदाता आ रहे हैं”।

हाँ प्रिय ख्रीस्त-भक्तों, आज प्रभु ईश्वर उस भविष्यवाणी को, हमारे उस इन्तजार की घड़ी को हमारे बीच पूर्णता तक पहुँचा देते हैं। यह ईश्वर की दयालुता है। इस संदर्भ में संत पौलुस आज के दूसरे पाठ, तीतूस के नाम पत्र में कहते हैं कि यह सब ईश्वर ने अपनी दयालुता के कारण ही पूर्ण किया।

इसलिए दूसरा पाठ, हमें यह सबक सिखाता है कि हम अपने वैभव पर गर्व ना करें, परन्तु हमारे जीवन में ईश्वर की सभी योजनाओं को स्वीकारते हुए ईश्वर को धन्यवाद दें, क्योंकि यह सब, उसी की दयालुता के बदौलत है। हमारा ऐसा कोई भी कार्य, भले ही वह धन हो या हमारा वैभव, हमारे काम-काज या हमारा व्यवहार या हमारा परिश्रम, हमारी मुक्ति का कारण नहीं है, बल्कि यह सब ईश्वर के अनुग्रह का परिणाम है। इसलिए ईश्वर ने येसु मसीह द्वारा ही पवित्र आत्मा के सभी वरदानों को परिभाषित किया और उसी के द्वारा ही मुक्ति योजना बनाई, जिससे हम उस कृपा के माध्यम से येसु मसीह अर्थात मुक्तिदाता, जिसकी हमें प्रतिज्ञा की गई है, उस प्रभु से संयुक्त हो कर, स्वर्गराज्य के उत्तराधिकारी बन सकें। यह सब प्रभु ईश्वर की अनुकम्पा का परिणाम है, जो हमसे प्रेम करतें हैं।

आज का पवित्र सुसमाचार भी हमारे प्रति ईश्वर की दयालुता का वर्णन करता है। हमने सुना कि स्वर्गदूत उन चरवाहों को, जो दिन में अपनी भेडों को चराया करते थे, एवं रात को अपनी भेड़ों की निष्ठापूर्वक रक्षा करते थे, यह शुभ सन्देश सुनाते हैं कि ‘‘आज दाऊद के नगर में आपके मुक्तिदाता, प्रभु मसीह का जन्म हुआ है।’’ हम देखते हैं कि चरवाहे अमीर नहीं थे, वे कोई राजा या महाराजा नहीं थे, बल्कि वे साधारण चरवाहे थे, उनके हृदय निर्मल थे। उन्हें यह संदेश सुनाया गया। यह प्रभु की कृपा है। स्वर्गदूत ने उनसे यह नहीं कहा कि आज संसार का या सारी मानवजाति का मुक्तिदाता जन्मा है बल्कि उन्हें बताया गया, कि “आपके मुक्तिदाता” ने जन्म लिया है। इस प्रकार प्रभु येसु मसीह को उनके व्यक्तिगत मुक्तिदाता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उन्हें एक पहचान भी दी गई, कि जब तुम अपनें मुक्तिदाता को ढूढोंगे तो तुम उसे कपडों में लपेटा और चरनी में लिटाया हुआ पाओगे। चरवाहों नें जैसे ही स्वर्गदूत की वाणी सुनी, वैसे ही उन्होंनें अपनी भेडों की परवाह किये बिना, उस संदेश पर विश्वास किया और शीघ्र ही वे उस बालक के दर्शन करने निकल पड़े। संत मती के सुसमाचार 8:5 में प्रभु येसु कहते हैं “धन्य हें वे जिनका हृदय निर्मल है, वे ईश्वर के दर्शन करेंगें।” ईश्वर की दृष्टि में चरवाहों के हृदय निर्मल थे। इसलिए ईश्वर नें उन्हें अपने दर्शन अनुग्रह प्रदान किया। उन्हें मुक्तिदाता प्रभु येसु का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जब उन्होंने बालक को पाया, तब उनकी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। उन्होंने उस खुशी को अपने तक ही सीमित नही रखा, परन्तु आस-पास के सभी लोंगों को भी, उस ईशपुत्र के विषय में बताया। आज हम भी हमारे मुक्तिदाता का जन्मदिन मनाने के लिए बडी तादाद में एकत्रित हुए हैं, और हमारे लिए भी ईश्वर का यही संदेश है “आज दाऊद के नगर में, आपके मुक्तिदाता, प्रभु मसीह का जन्म हुआ है।“ अर्थात मेरे प्रभु का, यहाँ उपस्थित हर एक के प्रभु ने जन्म लिया है; हमारे व्यक्तिगत प्रभु का जन्म हुआ है। आज हर एक को यह समझने की आवश्यकता है कि हमारे प्रभु ने नहीं, बल्कि मेरे प्रभु ने जन्म लिया है। अतः मुझे मेरे प्रभु का जन्मोत्सव मनाना चाहिए। जिस प्रकार चरवाहों को मार्गदर्शित किया गया था, वैसे ही हमें भी प्रभु के दर्शन करने के लिए मार्गदर्शक के रूप में पवित्र वचन दिया गया है, हमें जीवन का स्रोत सौंपा गया है, हम इसे हमारे अपने जीवन का अंश बनाये, इसे पढें, मनन-चितंन करें, अपने जीवन में लागू करें। सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि हम इस वचन के द्वारा प्रभु येसु को खोजें, उसे पायें, उनको अपने प्रतिदिन के जीवन में अनुभव करें, वचनों पर विश्वास करें और जीवन व्यतित करें। जब यह वचन हमारे जीवन में पूर्णता तक पहुँच जायेगा, जब हम प्रभु के कार्यों को हमारे जीवन में अनुभव करेंगे, तब हम यह जान जायेंगे कि प्रभु का वचन सत्य है, हमारे जीवन को सींचित करता है और वह हमें कमयाबी प्रदान करता है।

तो आईये प्रिय भाईयों एवम् बहनों, हम क्रिसमस के इस त्यौहार को अपना व्यक्तिगत अनुभव बनायें तथा चरनी में लेटे हुये बालक को अपने मुक्तिदाता के रूप में स्वीकार करें।

आप सभी को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें। बालक येसु हमें आर्शीवाद प्रदान करें।